डाo के एस भौज्ञान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
खतौली विधानसभा सीट पर आजादी से अब तक कई उतार चढ़ाव देखें है, इतना ही नहीं खतौली विधानसभा सीट पहले से ही राजनीतिक गलयारें में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। प्रारंभिक दौर में खतौली विधानसभा सीट का स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं होता था। मुख्य रूप में शाहपुर खतौली विधानसभा सीट कही जाती थी और इसका आकार वृहत था। सन 1961 में खतौली विधानसभा सीट अस्तित्व में आई, फिर भी इस सीट का गणित कुछ राजनीतिज्ञों को रास नहीं आया। नतीजतन 2007 में एक बार फिर अन्य विधानसभा सीटों के साथ ही खतौली का परिसीमन भी हुआ। उस समय तक अधिकांश जाट बिरादरी के प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला होता था, क्योंकि हर पार्टी की मजबूरी होती थी कि वह इसी बिरादरी का प्रत्याशी मैदान में उतारे। उस समय यह जाट बाहुल्य सीट कही जाती थी। 2012 में नए परिसीमन के अनुसार चुनाव हुए तो यह सीट जातीय समीकरण में उलझ कर रह गई और इस सीट पर किसी भी जाति विशेष का बाहुल्य नहीं रहा। 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में किसी भी मुख्य राजनीतिक दल ने जाट बिरादरी के नेता को प्रत्याशी बनाने से परहेज रखा। दो बार विधायक बने विक्रम सैनी को कवाल प्रकरण में सजा होने के बाद रिक्त हुई खतौली विधानसभा सीट पर उप चुनाव होने जा रहा है।
इस सीट पर मुख्य मुकाबले में गठबन्धन प्रत्याशी मदन भइया और भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी को माना जा रहा है और दोनों ही अपनी अपनी जीत का दावा करने से पीछे नहीं हटते हैं। कौन जीतेगा कौन हारेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है परन्तु यह कहना शायद कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस बार मुस्लिम नहीं एससी मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका में होंगे। रालोद मुखिया जयंत चौधरी खतौली के निकटवर्ती एवम् एससी मतदाता बाहुल्य गांव बिहारीपुर में स्वयं वोटर पर्ची बांट चुके हैं और आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष एससी मतदाताओेंं को साधने के लिए चुनाव प्रचार अभियान के आखिरी पड़ाव में स्वयं कमान संभाल रहे हैं। उधर जहां भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी के समर्थन में पार्टी के दिग्गजों से लेकर जाति विशेष के नेताओं, पदाधिकारियों को जिम्मेवारी सौंपी गई है वहीं सूबे के मुखिया व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को खतौली आकर राजकुमारी सैनी को जिताने का आवाह्न किया । तीन लाख बत्तीस हजार चार सौ मतदाता वाली खतौली विधानसभा सीट पर सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता हैं, उसके बाद एस सी मतदाताओें की संख्या आती है । उसके बाद ही अन्य जाति के मतदाताओं का नम्बर आता है जिनमें सैनी, जाट, गुर्जर, कश्यप, ब्राह्मण आदि बिरादरियों की गिनती की जाती है।
वरिष्ठ पत्रकार खतौली, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश