इन‌ दिनों क्यों हो रही जलवायु परिवर्तन पर चर्चा ?

दीपक कोहली, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आज संपूर्ण विश्व में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन को लेकर विश्व के सभी देश चिंतित दिखाई दे रहे हैं। यह सच है कि जलवायु परिवर्तन अमीर देशों के कारण हुआ है और इसके लिए गरीब देशों ने मुआवजा मांगना भी शुरू कर दिया है। पिछले 25 वर्षों में जलवायु परिवर्तन तेजी से हुआ है। जिसका खामियाजा सूखा पड़ना, अधिक गर्मी, कम या अधिक बारिश, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और अधिक क्रमिक परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। वक्त रहते जलवायु परिवर्तन को नहीं रोका गया तो यह संपूर्ण विश्व के लिए खतरे की घंटी होगी। जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार वातावरण में तेजी से बढ़ रहे ग्रीन हाउस गैसों की उपस्थिति है। जलवायु परिवर्तन के लिए अधिकांश उत्सर्जन करने वाले समृद्ध और औद्योगिक देश जिम्मेदार हैं। विकास के नाम पर समृद्ध देशों ने जलवायु के साथ बेहद गंदा व्यवहार किया है।

जलवायु परिवर्तन के लिए हम और आप भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितने के बड़े-बड़े उद्योग और कारखाने हैं। आज हम सभी संसाधनों से घिरे हुए हैं। एसी, कूलर, पंखा और हिटर से भी जलवायु को उतना ही नुकसान होता है, जितना कारखानों और उद्योगों से होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमारी सरकारें करोड़ों रुपए खर्च करती है। इसके बावजूद भी हम अपने देश के पर्यावरण को बचाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। देश में आज भी पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या सबसे ज्यादा है। दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में भारत के 3-4 शहर शामिल है। हम अपनी संस्कृति और सभ्यता का खूब बखान करते हैं, मगर प्रकृति को बचाने के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं, जबकि हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा प्रकृति है।
बतौर मनुष्य हमें अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। बिजली, पानी, गाड़ी इत्यादि चीजों का सही और जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा प्रतिवर्ष कम से कम हमें एक या दो पौधे लगाने चाहिए। उन पौधों को ना सिर्फ लगाना है बल्कि उन्हें पेड़ भी बनाना है। ऑर्गेनिक और शाकाहारी भोजन को अपना कर भी हम जलवायु परिवर्तन को रोकने में अहम योगदान निभा सकते हैं। पूरी दुनिया में मांस की आपूर्ति के लिए प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में पक्षी-पशुओं की बलि दी जाती है। इन पशु-पक्षियों के मल और हड्डी इत्यादि गंदगी से भी जलवायु प्रदूषित होता है। दुनिया में मांस खाने की तेजी डिमांड बढ़ रही है। जिसकी पूर्ति करने के लिए पशु-पक्षियों की संख्या घट रही है। इसके अलावा भी जलवायु परिवर्तन के कई कारण हैैं।
अल्मोडा, उत्तराखण्ड़

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