कौशल किशोर आर्य, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कुर्मी जाति के मातृ संगठन 127 वर्ष पुराने अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के सभी गुटों में एकीकरण आवश्यक है। जैसे कुर्मी जाति गौरवशाली स्वाभिमानी जाति है, वैसे ही यह संगठन गौरवशाली स्वाभिमानी ऐतिहासिक संगठन है, कभी जिसकी अध्यक्षता कोल्हापुर के राजा और आरक्षण के जनक छत्रपति राजर्षि शाहूजी महाराज, देवास नरेश समेत लौहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की सुपुत्री मणिबेन पटेल जैसे विभूतियाँ कर चुके हैं।
वर्तमान में यह संगठन अपनों के आपस में वर्चस्व की लड़ाई की शिकार होकर बिखंड़न के कगार पर है। 2008 में हैदराबाद के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद इस महासभा को दो गुटों में बंट गई थी, जो 2020 आते-आते 5 से ज्यादा गुटों में बंट चुकी है। आज अलग-अलग नाम से बहुत से नये संगठन बन गये हैं, लेकिन समाज अब तक संगठित नहीं हो पाया है। जानकार मानते हैं कि ये वक्त की मांग है कि आपस के सारे मतभेद, झगडे भुलाकर, निजी स्वार्थ का त्याग करके कुर्मी समाज के विकास और मजबूती तथा उसके सभी हितों को देखते हुए 127 वर्ष पुराने और कुर्मी जाति के मातृ संगठन अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के सभी गुटों के एकीकरण करने के लिए कुर्मी जाति के सदस्यों के द्वारा अपने हिस्से की जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए, तभी कुर्मी जाति की सभी शाखाओं और सभी उपजाति के सदस्यों का कल्याण संभव है।
अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के सभी गुटों के पदाधिकारी गण को आपस के वर्चस्व की लड़ाई बंद करनी चाहिए। समाज के विकास और मजबूती के लिए कुर्मी जाति के सभी शाखाओं और उपजातियों तथा अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के सभी गुटों को एकीकरण करके आने वाली पीढ़ी के लिए प्लेटफार्म तैयार करना चाहिए। सभी मानते हैं कि किसी भी समाज के लिए राजनैतिक चेतना का बहुत महत्व है, इसलिए हम सभी को राजनीतिक रूप से सजग होना पडेगा। नीतीश कुमार के रूप में प्रधानमंत्री पद के लिए एक चेहरा हम सभी के सामने है, बस अब जरूरत इस बात की है कि सभी कुर्मी जाति की सभी शाखाओं और उपजातियों को एक और संगठित करने के लिए कदम उठाना चाहिए।
राष्ट्रीय संचालक कुर्मी जागरण एकीकरण अभियान