डॉ. अ. कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
ताजगी रिश्तों में रहे, विनम्र होना लाजिमी,
ग़लतियों को अपनी, स्वीकारना भी लाजिमी।
गर्माहट और ताजगी, चाहो रिश्तों में बनी रहे,
स्वाभिमान को भूल कर, मुस्कराना लाजिमी।
ग़लतियों को अपनी, स्वीकारना भी लाजिमी।
गर्माहट और ताजगी, चाहो रिश्तों में बनी रहे,
स्वाभिमान को भूल कर, मुस्कराना लाजिमी।
विद्यालक्ष्मी निकेतन, 53-महालक्ष्मी एन्क्लेव, मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश