नगर पालिका ने बदल दिया इतिहास, शिकायत के बावजूद सब मौन

डाॅ.केएस भौज्ञान, खतौली। अभी तक सभी केवल यही समझ रहे थे कि नगर में माननीयों के नाम पर लगाए गए शिलापट गुम होने का एक और मामला सामने आया है। इससे पहले भी देश को जय किसान, जय जवान का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का शिलापट गायब होने का समाचार मीडिया की सुर्खी बना था। अब नये घटनाक्रम के अनुसार मामला शिलापटों के यूं ही गायब होने का नहीं लग रहा है, बल्कि नगरपालिका प्रशासन द्वारा नगर का इतिहास बदलने का लग रहा है।

ताजा मामला चिल्ड्रन पार्क परिसर मे लगे एक शिलापट का है, जिसमें पालिका को 15वें वित्त आयोग से प्राप्त धनराशी के द्वारा अधिष्ठापित ट्यूबवेल के लोकार्पण से सम्बन्धित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विधायक विक्रम सैनी के नाम का शिलापट्ट लगाया गया था, जिसमें अधिशासी अधिकारी जीत सिंह राय, नगर पालिका की अध्यक्ष बिलकीस सहित वार्ड सभासद मौहम्मद नईम उर्फ बबलू के नाम अंकित थे, इसके साथ ही उक्त शिलापट में ठेकेदार फर्म का नाम भी अंकित कराया गया था और ट्यूबवैल अधिष्ठापन का स्थल चिल्ड्रन पार्क अंकित था। यकायक उक्त शिलापट के गायब होने की सूचना वायरल हुई तो नगर पालिका प्रशासन ने आनन-फानन में वहां एक नया शिलापट लगवा दिया। नये शिलापट को देखकर सारा मामला शीशे की तरह साफ हो गया कि नगर में महापुरूषों के नाम पर लगाये गये शिलापट यूं ही गायब नहीं हो रहे हैं, बल्कि उन्हें सोची समझी साजिश के तहत गायब किया जा रहा है, जिससे पुराना इतिहास मिटाकर नगरपालिका मनचाहा इतिहास लिख सके। 

बता दें कि नये शिलापट में ट्यूबवैल अधिष्ठापन का स्थल चिल्ड्रन पार्क के स्थान पर मिठ्टूलाल अंकित करा दिया गया है, इसके साथ ही ठेकेदार फर्म का नाम भी नये शिलापट से गायब कर दिया गया है। उक्त प्रकरण में मुखर भाजपा के पूर्व जिलामंत्री मदन छाबडा ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि नगर के वार्ड 17 स्थित मौहल्ला मिठ्ठूलाल में नगर पालिका द्वारा स्थापित एक चिल्ड्रन पार्क में स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए अधिष्ठापित ट्यूबवैल पर लगाये शिलापट को बदल दिया गया है, जिसमें से चिल्ड्रन पार्क के स्थान पर मौहल्ला मिठ्ठूलाल लिखवाया है, जो गलत है। उन्होंने शिलापट को सही कराने सहित इस कार्य में संलिप्त दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है।

जानकारों की मानें तो ये सारा मामला नगरपालिका परिषद द्वारा बनवायी जा रही दुकानों के विवाद से सम्बन्धित है। उनके अनुसार नगरपालिका प्रशासन वहां अपने ही द्वारा स्थापित चिल्ड्रन पार्क के सभी चिन्ह मिटाने के लिया कुचक्र रच रही है। जानकार बताते हैं कि नगरवासियों के प्रत्यक्ष शिलापट से चिल्ड्रन पार्क गायब करने से पहले हो सकता है पालिका प्रशासन ने अपने दस्तावेजों से भी चिल्ड्रन पार्क के सारे सबूत साफ कर दिये हों। उनके अनुसार पूरे प्रकरण की गम्भीरता से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए, क्योंकि ये मामला केवल चिल्ड्रन पार्क का ही नहीं, बल्कि व्यवस्था से भी जुड़ा है। इस तरह तो पालिका प्रशासन मनमर्जी से दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके कुछ भी कर सकता है। 

नगर पालिक परिषद के नवागन्तुक अधिशासी अधिकारी कृष्ण सोनकर ने बताया कि दुकान बनाने का मामला उनके ज्वाइन करने से पहले ही बोर्ड में पारित हो गया था। उन्होंने शिक्षा वाहिनी को बताया कि शिलापट यथास्थान लगवा दिया गया है और पूरी स्थिति से अपर जिलाधिकारी प्रशासन और जिलाधिकारी को अवगत करा दिया गया है। उन्होंने माना कि शिलापट से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए थी।

बता दें कि इसी तरह का मामला पूर्व में घटित हो चुका है। स्थानीय पैंठ रोड के नाम से प्रख्यात् जीटी रोड से शुरू होने वाले इस मार्ग के पूर्वी छोर पर जैन कीर्ति स्तम्भ है। इसके निकट से एक नाला गुजरता है। बात लगभग दो दशक पहले की है, जब नगर में तत्कालीन नगर विकास मंत्री सतीश महाना आए हुए थे और इसी मार्ग पर उन्हें भवानी मार्ग का लोकार्पण करना था। इससे पूर्व स्थानीय शुगर मिल के गेस्ट हाउस में मंत्री सतीश महाना की प्रेसवार्ता चल रही थी। प्रसंगवश प्रकरण के दौरान मलबे मे पड़े स्वर्गीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री मार्ग सम्बन्धी शिलापट की उपेक्षा का प्रश्न सामने आया, जिसे महाना ने गंभीरता से लिया और कार्यक्रम में मौजूद तत्कालीन जिलाधिकारी विनोद शंकर चैबे को प्रकरण की सच्चाई जानने को कहा। इसके बाद पहले नाले की पुलिया के पास पड़े मलबे में पड़े लालबहादुर शास्त्री मार्ग के शिलापट को लगाया गया और बाद में भवानी मार्ग का लोकार्पण किया था, लेकिन अब उस शिलापट का भी कहीं अता-पता नहीं है। 



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