रेखा घनश्याम गौड़, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जीवन देने वाले "पिता"
उसी जीवन को जीना सिखाने वाले "पिता"
संतान के भविष्य के निर्माता "पिता"
प्राणों के अधिष्ठाता "पिता"
अनुशासन की नींव रखने वाले "पिता"
प्रेम की अपरिमितता दर्शाने वाले "पिता"
बारह मास और छहों ऋतुओं में
12 घन्टे नौकरी बजाने वाले "पिता"
बिटिया के बीमार हो जाने पर
पूरी रात जाग कर बिताने वाले "पिता"
हर गलती को मुस्कुरा कर माफ करने वाले "पिता"
माफ़ी ना माँगने पर भी गले से लगाने वाले "पिता"
देर से लौटने पर
"अरे कहीं कोई परेशानी तो नहीं हुई"
ऐसा कहने वाले "पिता"
नौकरी पर जाने वाले बच्चों को भी
माँ से छुपा कर पैसे देने वाले "पिता".
खाना ना खाने पर थाली लिये
पीछे-पीछे घूमने वाले "पिता"
आँखें नम देखने पर कारण पूछे बिना
सौ-सौ बार हृदय से लगाने वाले "पिता"।।
जयपुर, राजस्थान