अ कीर्ति वर्द्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
भूख थी मुझको मगर,
व्याकुल हो रोया नही,
भीड में तन्हां हुआ,
भीड में तन्हां हुआ,
घबराकर खोया नही।
नींद थी मुझ पर हावी,
नींद थी मुझ पर हावी,
कई दिनों से मगर,
करवटें बदली बहुत,
करवटें बदली बहुत,
फिर भी मैं सोया नही।
थी बहुत उपजाऊ मिट्टी,
थी बहुत उपजाऊ मिट्टी,
उस खेत की 'कीर्ति',
आम ही बोया,
आम ही बोया,
बीज गूलर का मगर बोया नही।
लिया इम्तिहान मेरे धैर्य का,
लिया इम्तिहान मेरे धैर्य का,
सबने बहुत ही,
हिल रहा था सयंम मेरा भी,
हिल रहा था सयंम मेरा भी,
मगर खोया नही।
गोद में मेरी चढा प्यार से,
गोद में मेरी चढा प्यार से,
वो गली का बच्चा,
वस्त्र गन्दे हो गये,
वस्त्र गन्दे हो गये,
मैने उन्हें धोया नही।
था बहुत अपनापन,
था बहुत अपनापन,
उस बच्चे के व्यवहार में,
वो अजनबी मेरे लिये था,
वो अजनबी मेरे लिये था,
मगर रोया नही।
था बहुत कीमती,
था बहुत कीमती,
किसी माला का वो मोती,
टूट कर बिखरा मगर,
टूट कर बिखरा मगर,
किसी ने संजोया नही।
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश