सत्यप्रकाश गौड़, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
यदि मैं देह हूँ,
तो मुझमें बसे प्राण है मेरी माँ।
यदि मैं कस्तूर हूँ,
तो मुझमें बसी सुगंध है मेरी माँ।।
यदि मैं जीवन हूँ,
तो मुझमें चलती श्वास है मेरी माँ।
यदि मैं उज्जवल हूँ,
तो मुझमें बसती रोशनी है मेरी माँ।।
यदि मैं मुसव्विर हूँ,
तो मेरी चित्रकारी है मेरी माँ।
यदि मैं स्वप्न हूँ,
तो मेरे जीवन की सच्चाई है मेरी माँ।।
यदि मैं सौभाग्यवान हूँ,
तो मेरी विधाता है मेरी माँ।
यदि मैं तन से सुन्दर हूँ,
तो मेरे मन की सुन्दरता है मेरी माँ।।
जयपुर, राजस्थान
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