सरायकेला के पूर्व डीसी के खिलाफ सीबीआई का जांच का आदेश

कार्तिक कुमार परिच्छा, सरायकेला। जिस आदित्यपुर का नाम सरायकेला के अन्तिम शासक  महाराजा आदित्य प्रताप सिंह देव के नाम से से रहा है। वहीं के आदित्यपुर औद्योगिक विकास प्राधिकार (आयडा) में नियमों का उल्लंघन कर जमीन आवंटित करने और कई संस्थानों के लिए जमीन की व्यावसायिक दर तय करने की अब  सीबीआई जांच होगी। सरायकेला खरसावां जाला के प्रथम उपायुक्त बंदना झारखंड सरकार में दूसरी महिला आईएएस है।
जानकारों की मानें तो अफसर और राजनेता आपसी गठजोड़ करके मूलवासियों का जमीन कौड़ियों के भाव से खरीदकर ऊंचे दामों में बेचकर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं। जमीनी हकीकत ये हैं कि रांची तक के आला अधिकारी व राजनेता यहां के मूलनिवासियों की काफी जमीन हड़प चुके है, जिसके चलते आज मूलनिवासियों को दो जून की रोटी जुटाना भारी पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि यदि पूरे मामले की निष्पक्ष जांज करायी गयी तो कई अफसरों व नेताओं की गर्दन फंसना तय है। 32 की खातियानी का एक कड़वा है कि जो क्षेत्र कभी ब्रिटिश इंडिया नहीं, बल्कि ओडिशा प्रदेश के अधीन रहा था आज प्रिंन्सली इंडिया के ओड़िया का जनमानस आजाद मुल्क में अफसरों व नेताओं के मकडजाल का गुलाम बनकर रह गया है।
बंदना डाडेल के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने उक्त मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने मामले में आयडा की तत्कालीन अध्यक्ष और उद्योग विभाग की वर्तमान प्रधान सचिव वंदना दादेल को संलिप्त मानते हुए उनके खिलाफ भी सीबीआई को जांच का आदेश दिया है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा है कि दादेल ने अदालत को गुमराह किया है और तथ्यों को छिपाया है। इस कारण वह भी इसकी भी जांच करें और तथ्य मिलने पर आदेश मिलने के 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करें।
कोर्ट ने सीबीआई को एक विशेष जांच टीम बनाने का आदेश दिया है। टीम अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरूपयोग व निजी लाभ के लिए किये गये कार्यों सहित आयडा में पदस्थापित होने के बाद से अभी तक की उनकी संपत्ति की जांच करेगी। कोर्ट ने कहा है कि आयडा जैसे संस्थानों का गठन औद्योगिक विकास और रोजगार देने के लिए किया गया है, लेकिन यहां अधिकारियों ने अपने लाभ के लिए अपने हिसाब से नियम बना लिए हैं।
अदालत ने उद्योग सचिव वंदना दादेल से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था, लेकिन कई बार समय के बाद भी उन्होंने जवाब दाखिल नहीं किया। अदालत ने जो दस्तावेज मांगे थे, उन्हें भी पेश नहीं किया गया है और किसी बात का भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया है, लेकिन बाद में दिये गये शपथपत्र में उन्होंने माना कि आयडा को नियम बदलने का अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि ऐसे मामले की जांच राज्य की एजेंसी एसीबी से भी करायी जा सकती है, लेकिन वर्तमान में दादेल कैबिनेट (निगरानी) सचिव भी हैं और एसीबी की कार्यशैली भी संतोषजनक नहीं रही है। राज्य की एक वरीय आईएएस को ईडी ने गिरफ्तार किया है, इसलिए अदालत इसकी सीबीआई जांच का आदेश दे रही है।
मामले की सुनवाई के दौरान जब अदालत ने आयडा के अधिकार क्षेत्र के मामले में जानकारी मांगी तो यह बात भी सामने आयी कि आयडा में फैक्ट्री लगाने के बदले शोरूम खोलने का भी प्रावधान है। जब अदालत ने जानना चाहा कि क्या आयडा खुद इस तरह का प्रावधान कर सकता है? क्या किसी एक्ट में बदलाव के लिए विधायिका की मंजूरी जरूरी नहीं है तो बताया गया कि आयडा के निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति से ऐसा करने का निर्णय लिया था। यह भी निर्णय लिया गया था कि फैक्ट्री के बदले शोरूम खोलने वालों से व्यावसायिक शुल्क लिया जाएगा, ताकि राजस्व आता रहे। अदालत को बताया गया कि जब यह निर्णय लिया गया तब आयडा की तत्कालीन अध्यक्ष वंदना दादेल भी बैठक में थीं। अदालत को बताया गया कि आयडा में 15 शोरूम चल रहे हैं।
अदालत ने कहा कि प्रतीत होता है कि आयडा में अधिकारी अधिकार का दुरूपयोग कर जमीन आवंटन कर रहे हैं, इसमें उनका निजी स्वार्थ भी हो सकता है। जिस समय शो रूम के लिए व्यावसायिक दर तय हुआ, उस समय दादेल ही आयडा की चेयरमैन थीं। उद्योग सचिव बनने के बाद भी उक्त मामले में उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, इससे प्रतीत होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी की जा रही है।
बता दें कि बेबको मोटर्स ने हाईकोर्ट में दायर याचिका दायर में कहा था कि उसे उसकी कंपनी भारत फोम के प्लांट के लिए जमीन दी गई थी। बाद में कंपनी ने सर्विस सेंटर खोलने की अनुमति मांगी तो आयडा अध्यक्ष ने शो कॉज किया। याचिका में कहा गया है कि आयडा ने ही आवेदन को मंजूरी दी है, ऐसे में शो कॉज नहीं किया जा सकता। मामले पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।


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