एसपी पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र ।
कोई भी मनुष्य अपने मस्तिष्क की फीडिंग के आधार पर ही चल पाता है। अर्थात मस्तिष्क में जो कुछ भी फीड़ हो चुका है, वही हमारी वास्तविक संपत्ति है। हम अपने जीवन में इसी के समानुपात में सम्मान, उपलब्धियां व धन संपत्ति आदि पाते हैं। इसके अलावा विचारों का स्तर और मान्यताएं भी इसी के समकक्ष होती हैं।
किसी भी मनुष्य को आलोचना करके हम नहीं बदल सकते, बल्कि वह पहले से अधिक विरोधी भी बन सकता है। वास्तव में अपने स्वयं के मस्तिष्क की फीडिंग के अनुसार कोई भी गलत नहीं है। ना वह गलत सोच रहा है और ना वो गलत काम कर रहा है। हम भरे हुए बर्तन को और अधिक नहीं भर सकते। सबसे पहले उस व्यक्ति को यह आभास होना अति आवश्यक है कि उसके मस्तिष्क के अंदर क्या, क्यों और कैसे भरा है? अर्थात उस व्यक्ति को यह जानना अति आवश्यक है कि उसके मस्तिष्क की प्रवृत्ति क्या है, उसके काम करने का तरीका क्या है, उसकी फीडिंग का तरीका क्या है? उसमें प्रकृति ने कितनी क्षमताएं दी हैं तथा कितनी का स्वयं प्रयोग कर पा रहा है? उसकी वर्तमान स्थिति के लिए उसके मस्तिष्क की फीडिंग किस प्रकार से पूर्ण जिम्मेदार है, इसलिए मेरा विनम्र निवेदन भी है और एक सुझाव भी है कि आलोचनात्मक शैली का प्रयोग ना करके समस्या की मूल को उखाड़ने का प्रयास करें। इस तरह उम्मीद से भी अधिक परिवर्तन और उपलब्धियां मिल जाएंगी। लेकिन इसके लिए क्या आप इच्छुक हैं?
बदायूं, उत्तर प्रदेश