टिकट मिलने ही वाला था

हितेन्द्र शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 
टिकट मिलने ही वाला था 
पैसे भी निकाल रखें थे 
तभी मेरे ही साथी ने मुझे पीछे कर
बड़े नोट आगे बढ़ाएं 
और टिकट खरीद लाया 
एक पल तो लगा कि अब 
इसके पीछे ही बैठना पड़ेगा 
अचानक दूसरी तरफ की सीट खाली दिखाई दी
मौका देखते ही वहां जाकर बैठ गया 
थोड़ी देर तो लगा कि शायद 
किस्मत खुल गई 
लेकिन इस पर बैठे लोगों ने 
वापसी करते ही मुझे 
सीट से हटा दिया
लाचारी में पुरानी सीट पर नजर दौड़ाई 
तो देखा कि गोद में बैठे लोग भी
इस सीट पर भी झपट रहे है
मन को बहलाया कि 
धक्के खाने के लिए 
बस बेहतर है चुनाव से...   
कुमारसैन, शिमला हिमाचल प्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post