नफीस अहमद, जानसठ। आज़ादी के 75 वें अमृत महोत्सव के मौके पर जनपद के एतिहासिक कस्बे जानसठ में "जश्ने- तनवीर गौहर" के नाम से एक अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे में नामचीन शायरों ने शिरकत फरमाई और हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों को अपने कलाम से वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया। मुशायरा सुबह 4 बजे तक बेहद कामयाबी के साथ चलता रहा। मुशायरे की खास बात यह रही कि साहिब ए जश्न डाक्टर तनवीर गौहर को संयोजक मुशायरा और नौजवान शायर साजिद मलिक जानसठी ने अपना उस्ताद बनाने का ऐलान करते हुए उन्हें पगडी, चादर, मोमेंटो और 21000 हजार रुपये का हार पेश किया।
मुशायरे की आयोजन समिति में हाजी कामिल मलिक, रियासत मलिक मेम्बर, नौमान मलिक, हाफिज़ अब्बास मलिक, राशिद राजपूत और कन्वीनर मुशायरा साजिद मलिक अज़ीज का नाम शामिल रहा, जिनके अनथक प्रयास से कस्बा जानसठ में इतना बडा मुशायरा आयोजित हो सका। आयोजन समिति ने ही मुशायरे का रीबन काटकर और शमा रोशन करके कार्यक्रम का उदघाटन भी किया।
हाजी कामिल मलिक की अध्यक्षता और नौजवान शायर अल्तमश अब्बास के सफल संचालन में मुशायरे ने जानसठ की धरती पर सफलता के नये आयाम स्थापित किये। शायर फिरोज अनवर की नाते पाक और सुप्रसिद्ध शायर खुर्शीद हैदर के देश भक्ति गीत से मुशायरे का आगाज़ हुआ, जबकि अहमद मुजफ्फरनगरी ने डाक्टर तनवीर गौहर के सम्मान सिपासनामा पढकर सुनाया।
हाशिम फीरोजाबादी ने फरमाया-
जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए
ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए
खुर्शीद हैदर ने कहा-
मेरी जानिब मुहब्बत से न देखो
मुहब्बत पर जवाल आया हुआ है
तनवीर गौहर ने अपने अशार यू पेश किये
मसअले का हल निकाला जाएगा
शहर से पागल निकाला जाएगा
निकहत अमरोहवी ने कहा-
याद दिल से मिटाना है मुश्किल
पहली चाहत भुलाना है मुश्किल
ए कबूतर ज़रा उनसे कहना
आज भी याद करता है कोई
नदीम शाद ने फरमाया-
ए वतन रह के परदेस में ऐसे घुट घुट के रोते थे हम
जैसे बच्चे किसी भीड में अपनी मां से अलग हो गये
अल्तमश अब्बास ने शाद फरमाया-
आयत ए इश्क़ रवानी में पढ़ी जाती है
ये दुआ सिर्फ़ जवानी में पढ़ी जाती है
जहाज देवबंदी ने अपनी नज्म कुछ यूं पेश की-
हर सुबह ये है मुसीबत क्या बताऊँ डाक्टर
ये पता चलता है कि मुंह कहाँ तक धो लिया
अहमद मुजफ्फरनगरी ने कहा-
मुझे बस तेरे सिवा अब कोई जुस्तजू नहीं है
नहीं चाहिए वो महफिल कि जहां पे तू नहीं है
अरशद ज़िया ने अपना अंदाज कुछ यूं पेश किया-
पुरानी सेफ से माजी का इक किस्सा निकल आया
मैं चश्मा ढूंढता था और तेरा झुमका निकल आया
अफरोज टान्डवी ने कहा-
तन्हाईयों को अपनी आबाद कर रहा हूँ
तेरी याद आ रही है तुझे याद कर रहा हूँ
तहसीन समर ने अपने जज्बात कुछ अलग अंदाज में पेश किये-
जुदाई अपने बच्चों की उसे बेहद रूलाती है
वो मुफ्लिस पेट की खातिर मगर घर छोड़ देता है
दानिश गज़ल ने फरमाया-
मैं जिसे देखके तुझको ही फकत याद करूँ
जाने वाले मुझे इक ऐसी निशानी दे दे
फिरोज अनवर ने कहा-
अब तो इंसाफ भी सिक्कों के एवज बिकता है
लेके कातिल को अदालत में मैं जाऊं कैसे
शमीम अख्तर कवालवी ने फरमाया-
काश आ जाए कहीं से उनके गेसू की महक
जिन्दगी का जख्म खुशबू में बसा रह जाएगा
मुशायरे में जानसठ के अलावा खतौली, चरथावल,मीरांपुर , मुजफ्फरनगर एंव आसपास के दर्शकों ने भी सम्मिलित होकर अपने पसंदीदा शायरों के कलाम से लुत्फ़ उठाया।