मैं नहीं मानता


दीपक कोहली, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
तुम्हारी इस आजादी को...
मेरे लिए अंग्रेज ही बेहतर थे
वो मेरे दाता और, 
वो ही मेरे भगवान थे...
उन्होंने मुझे शिक्षा दी...
उन्होंने मुझे नौकरी दी...
उन्होंने मुझे रोटी दी...
उन्होंने मुझे हिस्सेदारी दी...
उन्होंने मुझे अपनी भाषा दी...
उन्होंने मुझे अधिकार दिए
उन्होंने मुझे मान-सम्मान दिया
उन्होंने मुझे कपड़े-जूते दिए
सबसे बड़ी बात कि 
उन्होंने मुझे पहली बार 
एक इंसान समझा...
नहीं तो मैं! आज भी
अपने ही देश में अछूत हूॅं।
किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
कोई मेरी हत्या कर दे...
कोई मेरा रेप कर दे...
कोई मेरा शोषण कर दे...
कोई मेरा घर को जला दें...
कोई मेरी जमीन हड़प ले...
बस सभी को मेरा वोट चाहिए।
मैं जोर-जोर से चिल्लाता हूं
मेरी आजादी अभी बाकी है
अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड़€
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