कथा का तीसरा दिन, पार्वती के विवाह व जलंधर राक्षस की कथा सुनाई
शि.वा.ब्यूरो, मुज़फ्फरनगर। शामली रोड़ स्थित सत्संग भवन में चल रही कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पं0 श्याम शंकर मिश्रा ने अमृत वर्षा करते हुए कहा कि भगवान को मोह और अहंकार पसंद नही हैं। रावण हो या अन्य कोई, अभिमानी का पतन और अंत निश्चित है। इसी क्रम में उन्होने नारद मोह का प्रसंग सुनाया कि नारद जी को जब मोह सताने लगा तो उन्होने अपना कार्य बंद कर, आसक्ति की राह पकड़ी। प्रभु ने वानर रूप देकर, उन्हें आईना दिखाया, तब कहीं जाकर नारद जी का अभिमान खत्म हुआ और वे फिर से अपनी दिनचर्या में लीन रहने लगे। उन्होने प्रभु से क्षमा याचना की।
कथा व्यास ने सती प्रसंग में भोले पार्वती के विवाह का वर्णन कर, जलंधर राक्षस की कथा सुनाई और कहा कि स्वंय भगवान विष्णु ने लीला रच कर, उसका अंत कराया और उसकी पत्नि वृंदा का उद्धार किया। बाद में वृदंा का जन्म तुलसी के रूप में हुआ और भगवान भी शापित होकर शालिग राम बने। कथा व्यास ने कहा कि मोह - माया की इस नगरी में मनुष्य को अंहकार त्याग कर प्रभु की भक्ति करनी चाहिए, तभी उसे कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। तीसरे दिन यजमान के रूप में सम्राट गर्ग सपत्नीक उपस्थित हुए। कथा को विश्राम देने बाद, सिद्ध पीठ वाले माता के भक्त पंडित संजय कुमार व बगला मुखी व मां काली के साधक धर्मवीर समुन्दर ने राम नाम की पांच मालाओं का वाचन कराया व महाआरती सम्पन्न करायी । आरती के उपरांत स्व0 मुकेश गर्ग की धर्मपत्नि श्रीमती रीता गर्ग ने अपने परिजनों के साथ श्रोताओं को भोग प्रसाद का वितरण कराया। कथा के दौरान मास्क व सोशल डिस्टेंट का पूर्ण ध्यान रखा गया और सभी श्रोताओं को मास्क का भी वितरण किया गया। श्री राम कथा के आयोजन में सत्संग भवन ट्रस्ट की ओर से श्यामलाल बंसल (दालवाले) शिव कुमार, मास्टर ताराचंद राकेश वशिष्ठ, पं0 राजेश शास्त्री, सिद्ध पीठ वाले गुरूजी पं0 संजय कुमार, नैनसी गर्ग, पं0 शिवांशमिश्रा, पं0 विश्वासमिश्रा, सुभाष चन्द्र अग्रवाल (शिक्षा विभाग वाले) आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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