विज्ञान पर ज्ञान फिर हावी, बीमारियों को हराने के लिए सरकारी नल पर लोगों का हुजूम


 

हवलेश कुमार पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

आज तक इस पहली को कोई सुलझा नहीं पाया कि ज्ञान से विज्ञान है या विज्ञान से ज्ञान। सनातन से ज्ञान और विज्ञान में अंतर्द्वंद जारी है, लेकिन प्रायः कई मौकों पर विज्ञान के मुकाबले ज्ञान का पलडा भारी दिखायी पड़ा है। ताजा मामले में भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।

मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गालिबपुर क्षेत्रान्तर्गत गैर आबाद गांव मानवत का है, जहां विगत लगभग एक पखवाड़े से लोगों का हुजूम जुटा हुआ है। खतौली-मवाना मार्ग स्थित जावन गन्ना क्रय केन्द्र से उतर दिशा में तिसँग गांव की ओर जाने वाले रास्ते पर वाजिदपुर व खानपुर गांवों के बीच गैर आबाद गांव मानवत के जंगल में एक अति प्राचीन वट वृक्ष है, जिसे मनोट बड़ के नाम से जाना जाता है। पूर्व में यहां स्थित पानी का कुआं काफी समय पहले बन्द हो गया था और इस स्थान पर पेय जल सुविधा के लिए कई वर्ष पहले सरकारी नल लगा दिया गया था। हालांकि स्थानीय लोग बरसों से इस नल का पानी पी रहे हैं, लेकिन कुछ दिन से लोग इस नल के पानी में चमत्कार होने का दावा कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस नल का पानी पीने से लोगों की बीमारियां ठीक हो रही हैं। दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं और बोतल से लेकर कैम्पर में पानी भरकर ले जा रहे हैं। सभी का दावा है कि वहां स्थित एक सरकारी नल का पानी पीने से सभी बीमारियों में आश्चर्यजनक लाभ हो रहा है। ऐसा नहीं है कि वहां केवल अनपढ़ लोग ही आ रहे हैं, बल्कि वहां का पानी पीकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने का दावा करने वालों में उम्दा तालीम याप्ता लोगों की तादाद भी कम नहीं है। वैज्ञानिक तथ्य कुछ भी हो, परन्तु एक सरकारी नल रोगियों के विश्वास का केन्द्र बन रहा है, यहां दिनोंदिन बढ़ती भीड़ इसकी गवाह है।
जिस प्रकार समझदार लोग धुआं देखकर वहां आस-पास आग होने के बारे में जान लेते हैं, उसी प्रकार एक सरकारी नल के पानी से सारी बीमारियां ठीक होने की बात वायरल होने से लोगों के कान खडे होना लाजिमी है। सरकारी तंत्र ने नल के पानी की जांच कराने के लिए उसे लेबोरेट्री भिजवाया है, नतीजा चाहें जो निकले, लेकिन लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाओं का दौर गर्म है। सरकारी नल के पानी से बीमारियों में लाभ होने की चर्चाओं के बाद गालिबपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधिकारी डा.अवनीश कुमार सिंह भी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और लोगों से वहां साफ-सफाई रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि वहां आस-पास जलभराव न होने दें, क्योंकि जलभराव होने से पानी का प्राकृतिक स्रोत खराब होने का खतरा उत्पन्न हो जायेगा, इसके साथ ही अनेक संक्रमित बीमारियां भी हो सकती हैं। उनका कहना है कि सरकारी नल क्योेंकि मानकों के अनुसार लगाये जाते हैं, इसलिए उसका पानी पीने से अगर कोई लाभ नहीं होना भी मान लें तो, उससे कोई नुकसान तो बिलकुल भी नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हर प्रकार से लाभदायक होता है।
मुजफ्फरनगर मेडिकल काॅलेज में एक विभाग के अध्यक्ष डा. आरके ठकराल का कहना है कि नल का पानी पीकर सभी बीमारियों के ठीक होने की बात केवल एक अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं हो सकती, क्योंकि अगर ये मान भी लिया जाये कि पानी में भूगर्भ से किसी खनिज का स्रोत मिल गया है, तो उक्त खनिज से एक या कुछ बीमारियों में लाभ हो सकता है, सभी में नहीं। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति बीमार है तो उसे चिकित्सक की राय लेकर उपचार कराना चाहिए और अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए।
इसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक डा.पुष्पेन्द्र का मानना है कि अगर किसी को कोई बीमारी है तो उसका निदान उपचार से ही हो सकता है और इसके लिए योग्य चिकित्सक की सलाह पर दवाई अवश्य ही लेनी चाहिए। अंधविश्वास में पड़कर बीमारियों को बढ़ाना कोई अक्लमंदी नहीं है। वहीं एक अन्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि किसी बात को भी बिना जाने सिरे से नकार देना भी कोई अक्लमंदी नहीं है। उनका मानना है कि अगर ये मान भी लिया जाये कि पानी पीने से बीमारियों में कोई लाभ नहीं हो रहा है, लेकिन ये बात तो तय है कि उसे पीने से कोई नुकसान भी नहीं है, क्योंकि चिकित्सकों से लेकर अनेक समझदार लोग अक्सर उचित मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही डाॅ. खिलारी सिंह भौज्ञान का मानना है कि अनेक बीमारियां शरीर में वात, पित्त और कफ यानी अम्लीय और क्षारिय तत्वों का संतुलन बिगड़ने के कारण होती हैं। डा.भौज्ञान का कहना है कि हो सकता है उक्त सरकारी नल के पानी के स्रोत से भूगर्भ में ऐसे ही किसी खनिज का स्रोत मिल गया हो। उन्होंने उत्तरांखंड के देहरादून स्थित सहस्रधारा के गन्धकयुक्त पानी से त्वचा रोगों में लाभ होने का उदारहण भी दिया।

खतौली (मुज़फ्फरनगर) उत्तर प्रदेश

 

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