डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
चित्रकला हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। आदि मानव भी अगर चित्रकला नही करते तो हम इतिहास जान ही नहीं पाते।चित्रकला कोई मेथ्स विषय नहीं है कि 2+2=4 हो। चित्रकला एक अनुभूति है। बच्चों से अच्छा चित्रकार विश्व में कोई और नही हो सकता। चित्रकला कोई बोझ नहीं कि बच्चे देख-देख कर ही कॉपी वर्क करे। बच्चों को यह मान लीजिए एक बर्ड (चिड़िया) बनानी है तो उसका स्ट्रक्चर सही होना ज़रूरी है। अगर एक कक्षा में 40 बच्चे हें तो ज़रूरी नहीं कि सब बोर्ड पर सिखाई हुई बर्ड देख-देख कर कॉपी कर लें। यह चित्रकला नही है, बच्चों को चित्रकला में आज़ादी होनी चाहिये। विषय अगर बर्ड है तो कक्षा में बच्चे अपनी इमैजिनेशन से चित्रकरी करें। चित्र का पर्फ़ेक्ट स्ट्रक्चर होना ज़रूरी है।
कक्षा के 40 बच्चे अलग-अलग अपनी कल्पना से कोई बर्ड को पिंजरे में, कोई छत की मुँडेर पर, कोई पेड के घोंसले में, कोई आसमान में उड़ते हुए बनाते हैं,यही चित्रकला है। ज़रूरी नहीं कि लैंड्स्केप में हर बच्चे का आसमान नीला ही हो, नन्हे चित्रकारों की इमैजिनेशन का आसमान पिंक भी हो सकता है। बच्चों को अपनी इमैजिनेशन पर रोक नहीं लगानी चाहिये। शुरू में पेन्सल से हल्के हाथों से चित्र बनाइए, शीट की साइज़ का ध्यान रखते हुए सही नाप से चित्र बनाइए। लैंड्स्केप और पोर्ट्रेट में ब्लैक और वाइट कलर का यूज़ नहीं करना चाइए। गॉड ने जो भी नेचर की चीजें बनाई हैं, उनमें ब्लैक और वाइट कलर कहीं नहीं हैं। वाटर कलर वाले चित्र में पानी का इस्तेमाल अधिक होता है, ओईल पेंटिंग और अक्रिलिक पेंटिंग में चटक रंगो का इस्तेमाल होता है। आउटलाइन हमेशा बाद में की जाती है। नन्हें चित्रकारों! रोज़ ख़ाली वक्त में कम से कम 10 पेन्सल स्केच की प्रैक्टिस कीजिए। जितनी स्केचिंग करेंगे, उतना हाथ में निखार आएगा। चित्रकला ज़िंदगी में सुकून है।
रावतभाटा, राजस्थान