शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान पूरा देश घरों में कैद हो गया था, ऐसे समय में जब घरों से बाहर निकलना जोखिम पूर्ण हो, उस दौर में अपने दायित्वों को निभाना बेहद कठिन काम है। ऐसे समय में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने देवदूत बनकर लोगों की मदद की। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ घर-घर जाकर सर्वे किया बल्कि गर्भवती व धात्री महिलाओं एवं बच्चों के लिए पुष्टाहार की व्यवस्था की। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सजग करने का दायित्व भी उन्होंने बखूबी निभाया।
खादरवाला की रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अलका ने बताया कोरोना के खिलाफ लड़ाई जितनी लंबी खींचती जा रही थी, उतना ही हौसला बढ़ता जा रहा था। हम तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए देश के प्रति अपना फर्ज निभाते रहे। रोज सुबह अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी लेना नियमित कार्य का एक हिस्सा हो गया, इस दौरान कई इलाकों में लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा। कई बार घरों के दरवाजे खुलवाने में भी दिक्कत आयी। इसके लिए पुलिस-प्रशासन का भी सहारा लेना पड़ा। परिस्थितियां कैसी भी रहीं हों, हम अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे।
लद्दावाला इलाके की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीलम, अंजू, हेमलता ने बताया लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रतिदिन काम किया। कांटेक्ट ट्रेसिंग सर्वे में सभी कार्यकर्ताओं को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कई इलाके ऐसे भी थे जिनमें विरोध का भी सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं सर्वे के दौरान कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गईं, लेकिन हर परेशानी से नया हौसला मिला और अपने कार्य के प्रति लगन कम नहीं हुई। लगातार अपने काम को यह सोचकर अंजाम देते रहे कि अपने कर्तव्य को निभा कर ही तो कोई योद्धा कहलाता है।
सदर ब्लाक की बाल विकास परियोजना अधिकारी हसीबा बानो का कहना है कि कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए खुद सुरक्षित रहना किसी चुनौती से कम नहीं है। पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर घर-घर कोरोना का सर्वे करना और पुष्टाहार का वितरण करना बहुत कठिन काम था, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूल सकते। सरकार ने जो दायित्व दिया है उसे निभाना बहुत जरूरी है। उन्होंने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हौसले की दाद देते हुए कहा कि सभी का कार्य सराहनीय है।
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