डॉक्टर मिली भाटिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
नारी एक घर को खूबसूरत बनाती है। उसे अपने ही ढंग से सजाती सँवारती है, लेकिन एक घर को और लाखों ज़िन्दगियों को खूबसूरत बनाने वाली वाली नारी के खुद के अंतर्मन में क्या छिपा, ये मैं डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट अपनी सात पेंटिंग के माध्यम से नारी के अंतर्मन के भाव पेंटिंग में एक आँख के माध्यम से मैंने उजागर करने की कोशिश की है। मैंने नोवेल पढ़ें थे लेखिका दीप्ति खंडेलवाल के। उन्होंने नारी के दर्द पर काफ़ी लिखा था तो मैंने सोचा में नारी के दर्द पर कुछ बनाऊ। मैंने नारी के अंतर्मन को अपने केनवास पर एक आँख नहीं बनाकर के उसकी फ़ीलिंज़ को शो करने की कोशिश की है। नारी अंतर्मन की 7 पेंटिंग की सीरीज़ मैंने अपने पोस्ट ग्रैजूएशन करते वक्त वर्ष 2008 में बनाई और बाद में इंटरनैशनल वोमेन डे पर जयपुर जवाहर कला केंद्र में 8 मार्च 2011 को प्रदर्शनी की, जिसका टेलिविज़न पर 7 मिनट का शो प्रसारित हुआ।
मेरी पहली पेंटिंग-में मैंने नारी का पहला रूप एक यंग गर्ल बनाई है, जो अपनी लाइफ़ में बोहोत कन्फ़्यूज़न और उधेरबुन में जी रही है, इसमें एक आँख किसी भी पेंटिंग में नहीं दिखाई है। मैंने अंतर्मन में क्या चल रहा है, उसके वो एक फूल को ले कर सोच रही है। मेरी दूसरी पेंटिंग-नारी का एक और रूप मदर एंड चाइल्ड, जिसने मैंने अपनी पेंटिंग के माध्यम से बताया है कि ये नारी गाँव की लेडी है, इलिट्रेट लेडी है, पढ़ी-लिखी नहीं है। इसके अंतर्मन में चल रहा है कि मैं तो नहीं पढ़ीं, पर में अपने चाइल्ड को इतने अच्छे से पढ़ाऊ कि वो अपनी लाइफ़ को बहुत अच्छे से सर्वाइव कर सके तो वो अपने चाइल्ड को तुलसी के पोधे से कम्पेयर कर रही है कि ये बड़ा होगा जैसे-जैसे वैसे मेरा चाइल्ड भी बड़ा होगा। मेरी तीसरी पेंटिंग-नारी का एक और रूप बनाया है। मैंने जिसके साउथ की पनिहारिन बनाई है, मैंने जो एक वेल-एजुकेटेड लेडी है, पर इसकी शादी एसी जगह कर दी है, जहां उसे यह काम करना पड़ रहा है तो उसे लग रहा है। मेरा सब कुछ पानी में मिट्टी की तरह मिल चुका है। मेरी चोथी पेंटिंग-नारी का एक और रूप राजपूती लेडी। ये एक राजपूत की लेडी है, इसको पूरी तरह से एक अच्छे घर में इसकी मैरिज हो गई है और इसे पूरी तरह से चाभी के गुच्छे और गहनो में लाद दिया गया है तो इसको इन गहनो का और मेरा इसका मेन थीम है। चाबी के गुच्छे मैंने हाईलाइट किया है, इसके अंतर्मन की पीड़ा तो वोही है। घर के बाहर तो नही निकल सकती तो इसको लग रहा है। मेरा सब कुछ ताले में बंद होके जो एजुकेशन उसने अपने पेरेंट्स के यहाँ से ली वो सब धूल खा रहा है।
मेरी पाँचवीं पेंटिंग-नारी का एक और रूप यंग गर्ल। ऐसा नहीं है नारी, आज सिर्फ़ दर्द में ही जी रही है या उसको बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। नारी को आज बाहर भी निकलने दिया जा रहा है वो अच्छा भी कर रही है, आगे भी बढ़ रही है तो उसके पीछे बहुत लाईव लेडी बनाई है मैंने, जो बोहोत ख़ुश है और जो आगे बढ़कर समाज के लिए कुछ अच्छा करने की कोशिश कर रही है। मेरी छठी पेंटिंग-इसमें एक दुल्हन बनाई है मैंने। ये पेंटिंग ईटीवी राजस्थान लाइफ़स्टाइल प्रोग्राम, जिसने मेरा नारी अंतर्मन शो टेलिकास्ट हुआ था, कि सबसे प्रिय पेंटिंग, जिसने मैंने डार्क कलरस, ब्राइट कलरस का इस्तेमाल इसलिए किया है मैंने। क्यूँकि एक दुल्हन बनाई है मैंने और दुल्हन पूरी सजी सँवरी रहती है तो उसमें चटक रंगो का इसलिए ज़्यादा मैंने यूज़ किया है। यह एक दुल्हन है और दुल्हन की अंतर्मन की पीड़ा को मैंने दो फूलों से बताया है। एक उसके हाथ में लोटस का फ़्लावर है और एक रोज़ का फ़्लावर है, ये अपनी लाइफ़ को दो तरह से कमपेयर कर रही है, अंतर्मन में इसके पीड़ा चल रही है। मतलब फ़ीलिंग चल रही है। अब इसकी शादी है, पूरा बैकग्राउंड मैंने मैरिज का दिया है, जो बता रहा है लोटस के पत्ते की तरह अपनी लाइफ़ के बारे में सोच रही है कि इसकी लाइफ़ बहुत ब्यूटीफूल होगी, क्यूँकि ये लाइफ़ की स्टार्टिंग कर रही है और इस रोज़ के पत्ते में जो काँटे होते है, इसकी डंडी में। इसको डर भी लग रहा है कि आगे इसका ससुराल कैसा हो और आगे अपनी लाइफ़ में कैसे क्या करेगी।
मेरी सातवी पेंटिंग-वो आँख जो किसी भी पेंटिंग में नहीं दिखाई है वो यह रही। यह घर की दहलीज़ है, जिसने भारतीय नारी को घूँघट में रखा जाता है। उसको लग रहा है, ये अपने आप को उस रूप में पाना चाहती है, थोड़ा सा फ़्री किया जाए तो बैकग्राउंड में मैंने सूरज उग रहा है, चिड़िया उड़ रहीं हैं तो चाह रही है नारी कि मुझे इन बंधनो से थोड़ा फ़्री किया जाए, थोड़ा मुक्त किया जाए। मेरी किसी भी पैंटिंग में एक आँख नहीं है, क्यूँकि नारी के अंतर्मन में जो उसके पीड़ा चल रही है या जो कहते हैं अपने अंदर एक मन की आँख होती है। जो अंदर से हम सोचते हैं, किसी को नहीं बता पाते है, इस्पेशली एक नारी, एक मैरीड नारी, मैरीड वूमेन जो अपनी बात किसी को नहीं कह पाती है, उसके मन में जो चलता है, वो जो सोचती है, वो जो फ़ील करती है, वो मैंने अपनी पैंटिंगस में फ़ीलिंग डालने की कोशिश की है। मेरी नारी अंतर्मन की पैंटिंग बनाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि समाज में सोशल अवेयरनस आए। मेरी पैंटिंग के माध्यम से अगर नारी की स्थिति में थोड़ा भी सुधार आ सके और समाज इसके बारे में सोचे, लोगों में जागरूकता आए और चेतना जागे तो मेरा पैंटिंग बनाना सार्थक होगा। वर्ष 2013 में मैंने अपनी पींएचडी की थीसीस राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर में सबमिट की थी, जिसका विषय भारतीय लघु चित्रों में देवियों का अंकन है।
रावतभाटा, राजस्थान
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