बेटियाँ माता पिता का सौभाग्य ( डॉटर डे 27 सितम्बर पर विशेष)





शीला सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

कहते हैं बेटे भाग्य से मिलते हैं, बड़ी-बड़ी पूजा, अनुष्ठान, मन्नतें मांग कर मिलते हैं। पुत्र प्राप्ति के पश्चात परंपरागत रूप से हर भारतीय नारी अपने आप को भाग्यशाली मानती है। मानो पूरी दुनिया की खुशी उसकी झोली में आ गई हो। घर-परिवार में जैसे उसकी इज्जत बढ़ गई हो, उसका कद बड़ा हो गया हाे। वह तानों-बानों से अपने आपको स्वतंत्र मानती है। हर पीड़ा, कष्ट को भूलकर वह उसके लालन-पालन में लग जाती है, पाल-पोस कर बड़ा करती है। पढ़े-लिखे कामयाब पुत्र के प्रति उसकी ममता और भी गहरी होती जाती है। मां-बाप बड़ी धूमधाम से अपने पुत्र की शादी रचाते हैं। प्रसन्नता इतनी कि भविष्य के सपने बुनने लग जातेे हैं, मगर भविष्य की उस आहट को नहीं पहचान पाते, जो उनके हृदय को ऐसे घाव दे जाती हैं, जो आसानी से नहीं भर पाते। वे जल्दी ही भूल जाते हैं, अपने जन्मदाता और अपनी जन्म दात्री को, इसीलिए मेरा यह मानना है कि बेटियां सौभाग्य से मिलती है। यद्यपि हर दिन विशेष है, तथापि आज डॉटर डे है, इसलिए आज मुझे अपनी बेटी पर गर्व हो रहा है। विकासशील और विकसित देशों में अलग-अलग दिन डॉटर डे मनाया जाता है। भारत में सितंबर माह के अंतिम रविवार को डॉटर डे मनाया जाता है। इस दिन को बेटी के महत्व को बढ़ाने के लिए मनाते हैं। इसके अलावा लोगों के मध्य यह जागरूकता पैदा की जाती है कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य हो सकती है। बेटी है तो कल है। इसके अलावा बेटियों के प्रति समाज की तुच्छ सोच को भी बदलने का प्रयास किया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या का विरोध तथा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा भी बुलंद हो जाता है। समय परिवर्तन के साथ साथ हमारे समाज में बेटियों के प्रति रूढ़िवादी मान्यताओं में भी परिवर्तन आया है। कानून भी भारतीय समाज में बेटी के रक्षण-संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। नई-नई योजनाएं बेटियों के हितार्थ-कल्याणार्थ  एवं सर्वांगीण विकास हेतु चलाई गई है। आज बेटियां शिक्षा ग्रहण करके काबिल, योग्य ,सफल नागरिक बनकर हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही है।

डाटर डे पर आज विशेष लेख लिखते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मेरी बेटी आज कामयाब नागरिक है, जो शिक्षा विभाग में बायोलॉजी की लेक्चरर है। बेटी तुम बचपन से ही सुशील, समझदार और कर्तव्यनिष्ठ रही हो। पढ़ाई में सदैव अबल रही और अच्छे अंकों में उत्तीर्ण होती रही। कभी शिकायत का मौका नहीं दिया। कभी तुम मेरी मेरी सहेली बन जाती हाे कभी सलाहकार और कभी मुझे मेरी मां की भांति समझाती हाे। अपने मां-बाप के स्वास्थ्य के प्रति तुम विशेष चिंतित रहती हाे।

तुम्हारे जन्म से हम स्वंय को धन्य मानते हैं। इस घर में तुम्हारा जन्म जैसे ईश्वर का आशीर्वाद है। तुम हमारे घर की रौनक हो। आज तुम स्वयं भले ही बेटी की मां बन चुकी हो, मगर हमारे लिए वही छोटी सी गुड़िया ( मन्ना ) है। दुनिया के लिए बेटी चाहे कितनी बड़ी हो जाए, मगर मां-बाप के लिए अभी भी वह नन्ही सी परी है। समय के साथ-साथ बेटी का प्यार मां बाप के लिए और गहरा होता जाता है। तुम्हारा सुखी जीवन देख कर हमारे हदय को बहुत सुकून मिलता है। तुम अपने घर-परिवार में प्रसन्न रहो, दुनिया भर की खुशी भगवान तुम्हारी झोली में डाल दे यही हमारी कामना है। डॉटर डे पर कविता की कुछ पंक्तियां कहना जरूरी है-


मेरी दृष्टि में अमूल्य रतन बेटी

वाे एहसास प्रथम, वो अद्भुत सिंहरण तन की, 

भर लूं आंचल में शीघ्र, थी उत्सुकता मेरे मन की ।

निहार-निहार बलिहारी जाऊं, नतमस्तक हुई अज्ञात सत्ता की ।

हे ईश यह उपहार अनमोल,

ये मांनू  पुण्य  जीवन को।

ममता जागी, तृप्त हुई वह प्यासी जिज्ञासा,

जीने का लक्ष्य मिला बंधी मन में इक आशा ।

भूल गई वह तन की सुध ज्यूं सर्वत्र जब यही है ,

उसे मिला है पुत्र रतन बस आत्म संतोष यही है ।

मां बलैया लेती, कान के पीछे टीका काला लगाती है, 

गूंजे किलकारी आंगन में, तो वह गदगद हो जाती है ।

धन्य समझे स्वंय को, पुत्र -फल जो पाया है,

संपूर्ण नारी होने का नाम और सौभाग्य पाया है ।

थी अनजान वह समय के भयंकर बदलाव से ,

एक-एक कर टूटे सपने पाले थे जो बड़े चाव से ।

विस्मृत नेत्रों से ताकती, प्रश्न करती रहती अपने आप से ,

क्या नियति का यही निर्णय, खंड-खंड हुई आज अपनी ही छाप से ।

क्या उम्मीद हों, उन पुत्रों से जो कर्तव्यहीन है ,

पाला इतने लाड से, जैसे जीवन उनके ही अधीन है।

भूल जाते सब मां-बाप की उस हृदय -पीड़ा को ,

किया जिनको बड़ा, स्वीकारा, हर जीवन क्रीडा को ।

क्यों पुत्र -कामना से घिरा रहा सदियों से समाज हमारा ,

क्यों इस तुच्छ,

हीन भावना की तराजू पर तौला गया मान -सम्मान हमारा ।।

बेटी मेरा गर्व है, थामती जो रिश्तो की डोर , 

मेहनती, कर्मठ, सुशीला यश फैले जिसका चहुंओर 

नहीं पीछे बेटियां, हर क्षेत्र में आगे ये, 

मां बाप की सेवा करती रात रात भर जागे ये ।

खुशियां मिले अपार इन्हें, दुख पास ना आए कभी ,

बेटी को समझो "रतन" अमूल्य ,आओ यह कसम खाएं सभी।।

 

बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश