डॉ.शम्भू पंवार, चिड़ावा। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया।शहर के प्राचीन मंदिर श्री कल्याण प्रभु,राधा कृष्ण मंदिर, श्री बिहारी जी मंदिर, श्री केवल दास आदि मंदिरों में सामान्य रूप से सजावट की गई। मंदिरों में इस बार आमजन के लिए प्रवेश निषेध होने के फलस्वरूप मंदिरों में सादगी से श्री कृष्ण जी की भोग लगाकर पूजा अर्चना की गई, जबकि शहर में घर-घर में कान्हा का जन्मोत्सव उत्साह और उमंग से मनाया गया। सभी अपने नन्हे बाल गोपाल को कृष्ण -राधा के प्रतिरूप में सजाकर- सावरकर उनको प्यार स्नेह से दुलार कर रहे थे ।नन्हे बाल गोपाल भी इस प्रतिरूप में बहुत सुंदर और खुश नजर आ रहे थे।
श्री कृष्ण जी के अवतरण के समय पर चारों तरफ घर घर से "नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की "के जयकारे व घन्टे, घड़ियाल, मंजीरे व शंखनाद से आकाश गुंजायमान हो रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे आज घर-घर में कान्हा जी ने जन्म लिया हो। महिलाओ ने कान्हा जी के जन्म पर थाली बजा कर खुशी का इजहार किया। श्रद्धालुओं ने अपने घरों में पूजा स्थल को रंगीन लाइटों व फूलों से सजाया। कान्हा जी को माखन मिश्री का भोग लगाया। श्रीकृष्ण जी को झूला झुलाकर आत्मिक खुशी की अनुभूति ले रहे थे। गीतों की धुन पर बच्चे,युवतियां खुशी से नाच-गा रहे थे।
कोरोना की वजह से शहर में इस बार मंदिरों में पहले की तरह रौनक,सॉज सज्जा व चहल-पहल नही थी। श्रद्धालुओ ने घरों में ही जन्मोउत्सव उल्लास से मनाया। इस अवसर पर युवकों की टोलियों द्वारा दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन नही किया गया। आमजन अपने अपने घरों में सुबह से जन्मोउत्सव मनाने की तैयारी में लग रहे थे।
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