संस्कृति को तद्वद व जीवंत बनाए रखने के लिए युवाओं को होना होगा जागरूक


टीसी ठाकुर, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

कहने को तो हमें अपनी संस्कृति और परम्परा पर बेहद गर्व है और हम दुनिया के सामने दावा करते नहीं थकते। विश्व में संभवत: भारत ही एक ऐसा देश है, जहां हजारों वर्षों से बहती चली आ रही है जीवंत संस्कृति की धारा आज भी उसके निवासियों के जीवन को अनुप्राणित करती है।

हर व्यक्ति का समाज परिवार दोस्तों व अपने काम के प्रति कुछ न कुछ दायित्व होता है और इसे निभाने के लिए हमें गंभीर भी होना चाहिए। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना उसे अच्छे बुरे की समझ करवाकर  हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते है। आज का युवा आधुनिकता के इस रंग में अपने संस्कारों नैतिकता और बड़ों का आदर करना भूलता जा रहा है।


आज की युवा पीढ़ी को भावी व चरित्रवान बनाना तथा पौराणिक ज्ञान से दनुप्राणित करना है। वर्तमान समय में युवा नशाखोरी में इतना संलिप्त है कि वह अपने समाज की जिम्मेदारियों से विपरीत भाग रहा है। आज का युवा अपनी प्राचीन संस्कृति, धरोहरों व देव संस्कृति से विमुख होता जा रहा है । सामाजिक कार्य से पीछे हट रहा है अपने संस्कारों नैतिकता को छोड़ संस्कारविहीन होने की ओर अग्रसर हो रहा है ।वर्तमान समय में युवाओं को प्राचीन धरोहरों मंदिरों व देव संस्कृति के संरक्षण के हम सब युवाओं को जागरूक होना होगा ।

मैं एक युवा होने के साथ साथ अपने सभी युवा साथियों से आग्रह करता हूँ कि इस आधुनिक युग में हम सभी युवाओं को एक साथ  मिलकर अपनी प्राचीन धरोहरों, मंदिरों व देव संस्कृति का संरक्षण करना होगा। तभी यह इस आधुनिक के इस युग में हमारी धरोहरे मंदिर व देव संस्कृति कायम रहेंगी ।


कारदार च्वासीगढ़, करसोग (मण्डी) हिमाचल प्रदेश

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