डॉ. राजेश पुरोहित, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
सुरभित हो परिवेश
मिले नूतन सबको वेश
सद्गुणों का हो प्रवेश
सुन्दर हो अपना देश
बस इतना करो श्रीगणेश
बैरभाव सभी मिट जाए
एक दूजे को गले लगाएं
गिले शिकवा मिट जाएं
काम सारे ही बन जाएं
विकास की गंगा बहाएं
बस इतना करो श्री गणेश
परिवार मन्दिर बन जाएं
संस्कारों का पाठ पढ़ाएं
सभ्यता जहाँ सिखलाएँ
रिश्तों में प्रेमभाव जगाएं
अपनेपन की बात बताएं
बस इतना करो श्री गणेश
भवानीमंडी, राजस्थान
Tags
poem