भाई-बहन के अटूट संबंध को प्रगाढ़ बनाता पवित्र धागे का पर्व रक्षाबंधन


आशुतोष, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

सावन पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबन्धन पर्व पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है, जो भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और प्रगाढ़ करता है। यह पर्व एक पवित्र एहसास है, जिसमें बहन भाई को एक धागा बाँध कर याद दिलाती है अपनी रक्षा की । भाई भी वचन देकर यह सूत्र बंधवाता है और उपहार में बहन को जरूर कुछ देता है। हमारी विविध संस्कृति में यह एक अनोखा संगम है, जब इसी दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है। भाषा के लिहाज से संस्कृत ही सारी भाषा की जन्मदात्री है। ठीक उसी तरह हमारे पर्व त्योहार ही हमारे संस्कार और संस्कृति को अक्षुण्ण रखते हैं।

भारत की विविधता जगजाहिर है और विभिन्न समाज का एक दूसरे के पर्व में सहयोग करना भी हमारी पहचान रही है। आज समाज बदल रहा है। हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। आधुनिकता हावी है मानसिकता पर ऐसे में संस्कृति और प्रकृति बचाये रखना एक  गंभीर विषय बनता जा रहा है। महाभारत काल में इस बात को भगवान श्रीकृष्ण ने भाईबहन के अटूट विश्वास और प्रेम का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है। जब भी द्रोपदी पर कोई संकट आया है तो भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें उबारा है, जिसका प्रमाण चीरहरण के वक्त उनकी लाज बचाना। इतिहास में भी इसका जिक्र है। जब रानी कर्णावती के राज्य पर युद्ध का खतरा अर्थात बहादुर शाह जाफर से हो गयी थी तो रानी ने हूमायूँ को राखी भेजी थी और मदद माँगी थी।

रामायण में भी इसका वर्णन है लक्ष्मण रेखा, विश्वास की रेखा जिसे सीता ने न मानकर भूल की थी। विश्वास ही वह धागा है, वह रेखा है, जिस पर रिश्ते की सारी बागडोर है। लड़ना झगड़ना एक अलग बात हो सकती है, लेकिन उसे इतना दूर भी न ले जाएँ कि विश्वास  की डोर ही टूट जाये। यह बहुत नाजुक और भारी शब्द है। जीवन की धूरी भी यही है। बिना विश्वास आप उठ भी नही सकते। पवित्र धागा सूत्र आगे बढने का रिश्ते निभाने का और प्रगाढ़ बने रहने के लिए पवित्र मानसिकता उत्पन्न करता है, जो हमारी पूर्वजो की विरासत भी हैं। आइये! सब मिलकर इसे समृद्ध करें और प्रेम और अटूट विश्वास को और मजबूत करें।

 

                                                                 पटना बिहार 

Post a Comment

Previous Post Next Post