बहन! 

बहन! 
तुम्हे अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी, 
कल तुम्हे पराये घर 
न तो माँ का आँचल मिलेगा 
न बाप की लाठी मिलेगी 
और मेरी कलाई पे 
शक्तिहीन बूढी परम्पराओं से 
उम्मीद मत करना, 
बहन! 
तुम्हे अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी, 
तेज़ाब से 
परायी आंख से 
हुकूमत से
सरकार से
रंगीन धागों के कच्चे विश्वास पे 
निश्चिन्त मत होना 
बहन! 
तुम्हे अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी.....


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