मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
यौवन ने ली अंगड़ाई
मदमस्त पवन लहराई
आई सावन की ऋतु आई
कानों में चमके कुंडल
पैरों में बजी पायल
तेरा रूप देख गोरी
‘ऋषि कुमार’ हुआ घायल
अधरों से मधुशाला छलकाई
प्यासे पपिहे की पिहुकाई
आई सावन की ऋतु आई
मन हरा और तन हरा
तेरा गोरा वदन सोने सा खरा
तेरी मुस्कान गुलाबों सी
प्रिये मैं मर्यादा से ड़रा
काली जुल्फों सी बदरी छाई
न सही जाये तेरी जुदाई
आई सावन की ऋतु आई
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा
Tags
poem