मरीजों के आशा का केंद्र होते हैं चिकित्सक (डॉक्टर्स डे "1 जुलाई" पर विशेष)


शि.वा.ब्यूरो, शामली। जब भी समाज में चिकित्सक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो एक चेहरा सामने आता है जो सेवा के प्रति समर्पित और बीमार व्यक्तियों की आशा का केंद्र बना होता है। इसीलिए चिकित्सक को भगवान का  दूसरा रूप कहा जाता है। कोविड-19के दौर में ऐसे ही कुछ चिकित्सक भगवान का रूप बनकर लोगों की जान बचाने में लगे हैं।

कांधला सीएचसी पर तैनात डॉ. विजेंद्र कुमार के हौसले और जज्बे को कोरोना संक्रमण के दौर में हर कोई सलाम कर रहा है। पैर पोलियो से ग्रसित होने के बाद भी अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। वह फील्ड में जाकर सैंपल लेते हैं। काफी दिनों से अपने परिवार से भी दूर हैं। डाक्टर्स डे (01 जुलाई) पर पेशे के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने का हम सभी का फर्ज बनता है।

ऊन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) पर तैनात डॉ. लेखपाल का कहना है कि डॉक्टर बहुमूल्य प्रतिभाओं का धनी होता है। एक डॉक्टर निस्वार्थ और आत्म बलिदानी व्यक्ति होता है, जिसे अपने से ज्यादा अपने मरीज की खैरियत के बारे में सोचना पड़ता है। दिन रात काम करना, धैर्यवान बने रहना, अपने पास आए हुए मरीजों से विनम्रता पूर्वक बात करना, कठिन परिस्थिति से  उन्हें सामान्य स्थिति में लाना, प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बना कर चलना और कुशलता से अपना कार्य करना ही एक डॉक्टर को बहुमूल्य प्रतिभाओं का धनी बनाता है। डॉ. लेखपाल कोविड-19 के इस दौर में न सिर्फ अपनी ड्यूटी  को बखूबी निभा   रहे हैं बल्कि खुद फील्ड में जाकर कोरोना की सैंपलिंग करवा रहे हैं। इतना ही नहीं अपनी पूरी टीम पर पूरी तरह नियंत्रण  के साथ-साथ उनकी हर जरूरत और सुरक्षा का ख्याल भी बखूबी रख रहे हैं।

सीएचसी झिंझाना में एल1 हॉस्पिटल में तैनात डॉ. वासिल का कोरोना संक्रमितों के इलाज के प्रति समर्पण व सेवा भाव देखते ही बनता है। वह करीब 20 घंटे की लगातार ड्यूटी करते हुए लगातार कोरोना मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।

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