डॉ. राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मैं दीप हूँ जलता रहूँगा
राहें रोशन करता रहूँगा
रात के गहन तमस को
मैं पल पल हरता रहूँगा
लोग बैठे जो रोशनी में
उन्हें उजाले देता रहूँगा
प्यार बाँटता आया हूँ
प्यार ही बाँटता रहूँगा
मेरे तले का अंधेरा भी
उजाले की आस करता
दीप हूँ सब दिशाओं को
मैं रोशन करता रहूँगा
पतंगे आकर पास मेरे
कितने ही जान दे देते
कसूर मेरा नही इसमें
उन्हें यह कहता रहूँगा
भवानीमंडी, राजस्थान
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