डाॅ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कहावत पूर्ण वाक्य है, मुहावर वाक् अंश।
बांस रहे ना बांसुरी, मिट जायेगा वंश।।
काला अक्षर भैंस बराबर ।
भर दीजे गागर में सागर।।1
लोहा लेना धूल चटाना।
जीवन मिट्टी में मिल जाना।।2
घर से नौ दो ग्यारह होना।
तिल का ताड़ा हाथ खिलौना।।3
चूल्हे रोय चोर की मैया।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया।।4
नाचे कैसे आंगन टेढ़ा ।
भगवन पार लगा दे बेड़ा।।5
तेल लगाना ईंट बजाना।
चोरी का धन मोरी जाना।।6
अंधे आगे रोना रोवे ।
अपने दीदा तुरतहिं खोवे।।7
रस्सी जलके ऐंठ न जाही।
गरजे सो तो बरसे नाही।।8
आंख लगाना आंख चुराना।
आंख दिखाना आंख मिलाना।।9
कानों कच्चा घुट घुट जीना।
घाट घाट का पानी पीना।।10
अधजल गगरी छलकत जाना।
एक एक मिल ग्यारह होना।।11
देख मिठाई मुंह में पानी।
का वर्षा जब कृषी सुखानी।।12
अपना उल्लू सीधा करना।
अपनी करनी अपना भरना।।13
अंधेर नगरी चौपट राजा।
टके सर मीठा टके सर खाजा।14
सब अंधों में काना राजा।
गाल फुलाना गाल बजाना।।15
सब्जबाग भी खूब दिखाना।
अपना सिक्का तुरत जमाना।।16
बात बनाना बात चलाना।
बगुला भगती होंश उड़ाना।।17
एक म्यान में दो तलवारा।
हांडी काठ न चढ़े दुबारा।।18
अपनी डफली अपना रागा।
गावे कोयल खावे कागा।।19
एक अनारा सौ बीमारा।
घर का भेदी लंका ढारा।।20
आंखों अंधा गांठा पूरा।
खतरा जानो ज्ञान अधूरा।।21
गई दिवाली गावे हीड़ा।
बांझ न जाने प्रसवा पीड़ा।।22
ना धनतेरस ना ऋण चौदस।
सदा रहे हरियाल अमावस।।23
दिल दरिया पौ बारह होना।
पांचो उंगली घीय डुबोना।।24
दास कबीरा उल्टी वाणी।
बरसे कंबल भीगे पानी।।25
सूरज को दीपक दिखलाना।
अंगद जैसा पैर जमाना।।26
उंगली दांतो तले दबाना
अपना गला आप फसाना।।27
नौ नगदी ना तेर उधारा।
धोबी कुत्ता घर ना घाटा।।28
नदिया रहना मगर सु बैरा।
आधा तीतर आध बटेरा।।29
घर की मुर्गी दाल बराबर।
भई गति केरी सांप छछुंदर।।30
आगे कूआ पीछे खाई।
कूआ खोदे आग बुझाई।।31
नाचे बांदर खाय मदारी।
तीन लोक से मथुरा न्यारी।।32
पानी पीकर जाती पूछे ।
नौ मन तेल न राधा नाचे।।33
आम के आम गुठली दामा।
नीम हकीमा खतरे जाना।।34
गुरु गुर चेला शक्कर आनी।
दूधा दूधा पानी पानी।।35
मन चंगा तो कठौती गंगा।
नवग्रह सिद्धी पाते नंगा ।।36
देखो हाथी चले बाजारा।
कुत्ता कुतिया घूंस हजारा।।37
टेढ़ी खीरा चकमा देना।
घात लगाना कांटे बोना।।38
रंग जमाना रोना रोना।
हवा खिलाना हल्का होना।।39
पीठ ठोकना भीगी बिल्ली ।
दौलताबादा आए दिल्ली।।40
भैंस आगे बीन बजे, भैंस रही पगुराय।
नाचे कूदे बांदरी,माल मदारी खाय।।
आगर (मालवा) मध्यप्रदेश