राजेश पुरोहित (भवानीमंडी) शिवपुरी। भारतीय साहित्य सृजन संस्थान शिवपुरी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान,पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और मध्यप्रदेश के 21 कवियों ने भागीदारी कर 245 रचनाकारों की उपस्थिति में अपनी उत्कृष्ट रचनाओं की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। संस्थान के अध्यक्ष शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार इंजीनियर अवधेश सक्सेना ने माँ शारदा को नमन कर सरस्वती वंदना की-
माँ शारदे देवी सुनो ये, वंदना जो गा रहे, हे ज्ञान की देवी तुम्हीं से, ज्ञान को हम पा रहे
उन्होंने सभी रचनाकारों का स्वागत किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए ग्वालियर के महेंद्र भट्ट ने अपनी कविता सुनाई-
अपनों ने अपने घर को लूटा, शहर वालों ने शहर को लूटा
जयपुर के वरिष्ठ कवि राम किशोर वर्मा की प्रस्तुति-
भारत माँ भी माँ होती है, जो हमको सब कुछ देती है
भवानी मंडी राजस्थान के डॉ राजेश कुमार शर्मा पुरोहित ने अपना प्यार बाँटते हुए सुनाया-
मैं दीप हूँ जलता रहूँगा, प्यार बाँटता आया हूँ, प्यार बाँटता रहूँगा
इंदौर की अलका जैन ने सुनाया-
अंकित होंगे मेरे लहू से बर्वादी के अफसाने
पटियाला की सरिता नोहरिया ने तन्हाई के वारे में कहा-
मैं तन्हा भी होती हूँ तो तन्हा नहीं होती, मेरे साथ साथ होती हैं तुम्हारी आँखें
करेरा के डॉ. ओम प्रकाश दुबे ने मन की बात की-
मन ही शैतान बन जाता है, मन ही हैवान बन जाता है, मन को बदल दो तो इंसान बन जाता है
जबलपुर की कु. चंदा देवी स्वर्णकार ने माँ के ऊपर बहुत सुंदर कविता सुनाई, रामनगर एटा उत्तर प्रदेश से कृष्ण मुरारी लाल मानव ने अपना दर्द कुछ यूं बयाँ किया-
एक प्यासी नदी की तरह दर बदर मैं भटकता रहा, मुझको पग पग मिलीं ठोकरें, बंधनों में लटकता रहा
मिर्जापुर से डॉ उषा कनक पाठक ने शाम का वर्णन करते हुए सुनाया-
सभी जीव निज नीड़ को जाते, कृषक खेत से घर को आते, वसुधा क्षितिज एक हो जाते
हरदोई उत्तर प्रदेश के एडव्होकेट उदय राज सिंह ने अपना गीत सुनाया-
सभी दूरियों को मिटाके चलेंगे, तुम्हें तो गले से लगा के रहेंगे
हिसार हरियाणा से श्री राजेश पुनिया विश्वबंधु ने अपना परिचय कुछ इस प्रकार से दिया-
मानव हूँ मानवता के गीत सुनाया करता हूँ, नफरत दूर भगाकर दिल में प्रेम जगाया करता हूँ
अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश से सर्वेश उपाध्याय की रचना देखें-
अज्ञान के अभिशाप को जग से मिटाना है हमें, ज्ञान का नव पुंज इस जग को दिखाना है हमें
प्रतापगढ़ राजस्थान के कमलेश शर्मा कमल ने बेटियों की चिंता करते हुए रचना प्रस्तुत की-
इस देश में बेटी जनना अभिशाप समझा जाता है, जो माँ बेटी जनती है उसको पापी समझा जाता है
विदिशा के घरम सिंह मालवीय देश भक्ति की कविता सुनाते हुए फ़रमाते हैं-
भारत देश है वीरों का और वीर प्रसूता भूमि है
सीतापुर से नितिन मिश्रा निश्छल ने भी देश भक्ति की रचना सुनाई-
एकता से भरा इक चमन चाहिए, मुझको भारत ही अपना वतन चाहिए
जहानाबाद विहार की कविता देखें-
जिंदगी चार दिन की है, इसे यूँ न जाया कर, मुहब्बत कर गुज़र तू भी, नफ़रत न लाया कर
कवि सम्मेलन में रुद्रपुर उत्तराखंड के 15 वर्षीय कक्षा 10 के छात्र बाल कवि सिब्बू सरकार ने अपनी कविता सुनाई-
मेरा भारत जगत में सबसे अलग है, यहाँ पर सब कुछ अलग है, अलग है
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि महेंद्र भट्ट ने भारतीय साहित्य सृजन संस्थान शिवपुरी के इस आयोजन को साहित्य के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इसके उत्कृष्ट स्तर के आयोजन पर संस्थान के अध्यक्ष इंजी. अवधेश सक्सेना को बधाई दी । कवि सम्मेलन का सफलतम मंच संचालन दिल्ली की कवयित्री श्रीमती रुचिका सक्सेना ने अत्यंत खूबसूरत अंदाज़ और मधुर आवाज़ में करते हुए कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिये, सभी ने मुक्त कंठ से उनकी प्रशंसा की । अंत में संस्थान की ओर से बैराड़ शिवपुरी के वरिष्ठ कवि सतीश दीक्षित किंकर ने उत्कृष्टतापूर्वक आभार प्रदर्शन किया ।
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