प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मैं तुम में,
तुम मुझ में,
एक उजास हो।
मैं तिमिर हूँ, घना-घना।
तुम मेरा प्रकाश हो।।
मैं तुम में,
तुम मुझ में,
एक उजास हो।
मैं भटक रहा हूँ।
जिस लिए ,
तुम ही तो ..वो तलाश हो।
इस मानव देह की नही।
तुम आत्मा की प्यास हो।
मैं तुम में,
तुम मुझ में,
एक उजास है।
कैसे कह दूं ,
तू दिल में है।
मेरी सोच से भी,
वो परे कहां है।
मेरी सांस -सांस ,
क्यों ....बेचैन है।
आँखों को बरसों से,
किस की तलाश है।
जो जीवन की ,
नित-नूतन आस है।
सारी कायनात में,
जिस से प्रकाश है।
तू ही तो, सब का उजास है।
नालागढ़ हिमाचल प्रदेश
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