यूपीटीईटी पर भी लगे सवालिया निशान (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 12, अंक संख्या-28, 7 फरवरी 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


शि.वा.ब्यूरो, इलाहाबाद। उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा 2015 के परीक्षा केंद्रों पर अंगुली उठी है। रायबरेली के जिला विद्यालय निरीक्षक ने वित्तविहीन स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनवा दिया, जबकि शहर में साफ-सुथरी छवि वाले अशासकीय विद्यालय उपलब्ध थे। खास बात यह है कि यूपी बोर्ड के परीक्षा केंद्र निर्धारण में भी इसी जिले पर अंगुली उठी थी। 
 एससीईआरटी के निदेशक डा.सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने टीईटी की परीक्षा में शिक्षा विभाग के अफसरों को लगाया था। सभी ने अपनी रिपोर्ट एससीईआरटी को भेजी है। इसमें तैयारियों को लेकर जो कमियां रह गई उसे उजागर किया है। पर्यवेक्षण के दौरान रायबरेली में यह सामने आया कि वित्तविहीन स्कूलों को टीईटी का परीक्षा केंद्र बना दिया गया, जबकि वहां पर अन्य अशासकीय विद्यालय उपलब्ध थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। यहां के विब ग्योर पब्लिक स्कूल में 872 परीक्षार्थी भेजे गए थे, जबकि राजकीय इंटर कालेज एवं राजकीय बालिका इंटर कालेज जैसे कालेजों में करीब पांच सौ परीक्षार्थी ही भेजे गए थे। 
पब्लिक स्कूल के आसपास नकल कराने वालों का जमावड़ा लगा था। ऐसे ही रायबरेली के नगर पालिका इंटर कालेज में भी व्यवस्थाएं बदतर मिली। इस पर जिला विद्यालय निरीक्षक को फटकार भी लगाई गई। यहां यूपी बोर्ड के परीक्षा केंद्र निर्धारण में शासन ने कमियां पाई थी और यहां के डीआइओएस को परीक्षा कार्य से मुक्त कर दिया था। वह कोर्ट के आदेश पर कार्य कर रहे हैं। ऐसे ही अन्य जिलों में भी नकल रोकने में नाकाम रहने की शिकायत प्रमुखता से की गई है। 
पर्यवेक्षकों ने पाया कि जिले के प्रशासनिक अफसरों ने पूरी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अफसरों पर ही छोड़ दी थी। अब तक सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को पूरे प्रदेश से यह संख्या नहीं भेजी गई है कि कितने अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है।