आचार्य बालकृष्ण ने दिया सफलता का मूलमंत्र,कहा-सफलता को कोई शार्टकट नहीं, सोच का सकारात्मक होना जरूरी (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 12, अंक संख्या-28, 7 फरवरी 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। श्री राम ग्रुप ऑफ काॅलिजेज एवं रेशु एडवरटाईजिंग के संयुक्त प्रयासो से आयोजित परीक्षा में सफलता विषय पर एक व्याख्यान में पतंजलि योग पीठ के आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण ने हजारो की संख्या में आये विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का मूल मंत्र दिया।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जीवन की जो सफलता है वह उच्च चेतना से जागरूक होती है। जीवन में आगे बढने के लिए हमारी सोच सकारात्मक होनी बेहद जरूरी है। जिन विचारो में हम रहते है उन्ही के अनुरूप हम आगे बढते है। हमारी संकल्प की दृढ़ता शक्तिपूर्ण व विश्वासमयी होनी चाहिए, क्योकि सफलता का कोई शार्ट-कट नहीं होता। उन्होंने कहा कि सकारात्मकता का अभाव वातावरण में तनाव को फैला रहा है। जीवन में सफलता प्राप्त करने का सरल उपाय है कि प्रातः काल उठकर अपने परिवार के साथ मिलकर हम अपने लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प ले। उन्होने आगे कहा कि अगर जीवन में पवित्रता है, दृढ़ता है तो दुनिया तुम्हारे पीछे चलेगे न कि तुम दुनिया के पीछे चलोगे। हम अपनी जिन्दगी में कोई गलती नहीं करे, योग में उसी को संस्कार कहते है। हम कर्म करने पहले ही बचे हुए है, कर्म करने के बाद हमे कोई नहीं बचा सकता। जब तक हम अपना सुधार स्वयं नहीं करेगे तब तक मस्जिद, मंदिर या गुरूद्वारा हमारा सुधार नहीं कर सकता। 
उन्होंने कहा योग धर्म, आस्था और अन्धविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है। जीवन जीने की एक कला है योग। योग का आज के समय में बहुत ही महत्व हो गया है इसीलिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया गया। निश्चित ही विद्यार्थी योग साधना के द्वारा अपनी पढ़ाई पर ध्यान एकाग्रचित करनें में सफल होगें। इस अवसर पर सत्यप्रकाश रेशु ने कहा कि यह हमारे जनपद के लिए सौभाग्य की बात है कि आचार्य बालकृष्ण का यंहा आगमन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरप्राईज गिफ्ट भी प्रदान किये। इससे पूर्व आचार्य ने रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को नमन किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्य बालकृष्ण एवं कार्यक्रम में आये अतिथियों द्वारा माॅ सरस्वती की प्रतिमा का माल्यार्पण एवं द्वीप प्रजवल्लित कर किया। कार्यक्रम का संचालन रूचि श्रीवास्तव व प्राची श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया।