शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। योगी सरकार ने खर्चों को कम करने के लिए 9 अहम फैसले लिए हैं। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव संजीव कुमार मित्तल ने इस बाबत शासनादेश भी जारी कर दिया है। लॉकडाउन के कारण सरकार के राजस्व में कमी आयी है। इस संकट से पार पाने के लिए सरकार को कई कठोर फैसले करने पडे हैं। इसी के चलते योगी सरकार ने फैसला लिया है कि इस साल कोई नई गाड़ी नहीं खरीदी जाएगी और न ही कोई नई भर्ती ही की जायेगी। ये भी तय किया गया है कि कोई नया निर्माण कार्य तब तक न शुरू किया जाए, जब तक ऐसा करना बेहद जरूरी न हो। इस वर्ष किसी भी नई योजना को शुरू करने से बचा जाएगा। सरकार के फैसले के अनुसार कुछ विभागों में ऐसे कई पद नई तकनीक के कारण अब बेकार हो गए हैं। सरकार अब ऐसे पदों को खत्म करने का मन बना चुकी है। अब बदले हालात में अधिकतर मीटिंग वीडियो कांफ्रेंस से होंगी। अब कोई भी अधिकारी बिजनेस क्लास में सफर नहीं करेगा, सिर्फ इकॉनॉमी क्लास में यात्रा की छूट मिलेगी।
जानकारों की मानें तो सरकार इस समय आर्थिक संकट में है। मामला आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया वाला हो गया है। अप्रैल के महीने में राजस्व लक्ष्य का सिर्फ 3 प्रतिशत का ही प्राप्त हो पाया है। 18.5 लाख करोड़ रूपये आमदनी का लक्ष्य था, लेकिन मिला सिर्फ 2294 करोड़। ऊपर से कोरोना वायरस से निपटने के लिए भी खर्च बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग के लिए पैसा जुटाने में ही सरकार के पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने खर्च को कम करने का आदेश दिया है। यूपी सरकार ने खर्च कम करने के लिए 9 फैसले किए हैं-
1. केंद्र सरकार कई योजनाएं चलाती है, इसमें राज्य सरकारों को भी अपना शेयर देना पड़ता है। ये तय हुआ है कि अब ये शेयर एकमुश्त नहीं, बल्कि किस्तों में अदा किया जायेगा।
2. यूपी सरकार भी कई कल्याणकारी योजना चला रही है। फैसला हुआ है कि कोई नई स्कीम अब नहीं शुरू की जाएगी। ये भी आदेश दिया गया है कि गैर जरूरी योजना अभी के लिए स्थगित कर दी जाए।
3. नया कोई निर्माण शुरू न करने पर सहमति बनी है। जरूरी होने पर ही नया निर्माण होगा। जो काम चल रहा है सिर्फ उसे ही पूरा करने में बजट खर्च होगा।
4. कोरोना के अटैक के बाद से ऑफिसों में काम काज का तरीका बदल गया है। नई तकनीक के कारण कुछ पद बेकार या फिर अप्रासंगिक हो गए हैं। ऐसे पदों को खत्म करने का निर्णय हुआ है। जरूरी हुआ तो ऐसे लोगों को किसी दूसरे विभाग में समायोजित किया जा सकता है। कोई नई भर्ती नहीं की जाएगी।
5. कई विभागों में अस्थायी तौर पर सलाहकार, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य बनाए गए हैं। सरकार की तरफ से इन्हें सचिव से लेकर चपरासी तक दिया जाता है। ये तय हुआ है कि अब ऐसे लोग आउट सोर्सिंग से लिए जायें।
6. सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को कई तरह के भत्ते दिए जाते हैं, जैसे अवकाश यात्रा सुविधा, यात्रा भत्ता, ट्रांसफर यात्रा खर्च आदि। इन सब को कम करने को कहा गया है। स्टेशनरी खरीद में 25 प्रतिशत खर्च कम करने का आदेश हैं। ये कहा गया है कि सरकार के अलग अलग विभागों के प्रचार और प्रसार का खर्च भी 25 प्रतिशत कम हो। विज्ञापनों पर भी 25 प्रतिशत कटौती के निर्देश दिये गये हैं।
7. यूपी सरकार ने कोई नई गाड़ी नहीं खरीदने का फैसला किया है। फैसला किया गया है कि जरूरत पड़ने पर कांट्रेक्ट पर गाड़ी किराए पर ली जाएगी।
8. अब अधिकतर बैठकें वीडियो कान्फ्रेंस से होंगी। अधिकारियों के बिजनेस क्लास से हवाई यात्रा पर रोक लगा दी गई है। जरूरत पड़ने पर इकॉनॉमी क्लास से सफर कर सकते हैं।
9. अब इस वित्तीय वर्ष में कोई भी सरकारी सम्मेलन, सेमिनार या फिर वर्कशॉप होटलों में नहीं आयोजित किए जायेंगे।