रामायण पर आधारित पहेली चालीसा


डाॅ दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

रामचरित मानस पढ़ो,सब ग्रंथन को सार।

सरल पहेली बूझिये,कहत मसान विचार।।

बोलो  किसने  रावण मारा ।

श्याम शरीर विष्णु अवतारा।।1

जाके सुमिरन ते रिपुनाशा 

लछमन बन्धु सुमित्रा आशा।।2

शैषनाग के हो अवतारा। 

रामभुजा उरमिल भरतारा।।3

नंदी ग्राम समाधि लगाई ।

चरण पादुका राज चलाई।।4

सरयू तट पावन अस्थाना।

राम लला का तीरथ धामा।। 5

रघुपति कीन्ही बहुत बडाई।

बुद्धि विवेक ज्ञान चतुराई।।6

नाग पाश से राम निवारे।

विष्णु वाहन जग रखवारे।।7

किस जोधा के वचन सुहाये।

सुनि हनुमान ह्रदय अति भाये।।8

आगे चले बहुरि रघुराई।

किस पर्वत को देखा जाई।।9

आंधे मात पिता की सेवा।

ऐसा बेटा जग ने देखा ।।10

तारा पति पंपापुर राजा।

रावण कांखा बांधे राखा।।11

संस्कृत भाषा कथा रचाई।

आदि कवि की संज्ञा पाई।।12

श्रृगबेरपुर राज चलाई।

राम सखा की संज्ञा पाई।।13

लंबी भुजा शीश धड़ धांसी।

राम मार दंडक वनवासी।।14

निशिचरी एक लंक निवासी।

छाया पकड़ गगनचर खाती।।15

लक्ष्मण रुप देख लुभाई।

नाक कान बिनु रोवत जाई।।16

सीता भगनी पतिव्रत धारी।

ताके पति लछमन अवतारी।।17

जग अभियंता दोऊ भ्राता ।

राम काज सेतु निर्माता।।18

देखत ही घर उड़ता जाये।

वैद्यराज मन में घबराये।।19

जोधन बीच पैर जमाया।

कोई पांव हिला नहि पाया।।20

गुरु मतंग से शिक्षा पाई।

राम लखन को बैर खिलाई।।21

रानी कैकई को भरमाया।

जीवन कलंक उसी ने पाया।।22

सांचा  नाविक  गंगा  धारा।

राम लखन को पार उतारा।।23

राम कथा लिख हिन्दी भाषा।

हुलसी सुत भारत की आशा।।24

दशमुख बीस भुजा थी प्यारी।

अहंकार  में  टूटी  सारी।। 25

 सज्जन राजा भूले देहा ।

जनकपुरी को समझे गेहा।।26

सुनेना प्यारी जनक दुलारी।

भूमि सुता हैं जग से न्यारी।।27

बेटी दशरथ भगनी रामा।

ऋषि श्रृंग की बनी थी वामा।।28

सुन्दर वाणी रक्षक सीता।

भयी सहाय समय विपरीता।।29

 मय दानव की सुता विचारी।

माता मेघ लंकापति नारी।।30

रूमा पति बाली का भाई।

राम सखा हनुमान मिलाई।।31

 पति सुलोचना सुरपति जीता।

गरजे मेघ  देव  भयभीता।।32

धनुष भंग सुनि दौड़े आये।

जमदाग्नि के पूत कहाये।।33

पिता शेष की तुम हो माया।

इन्द्रजीत से ब्याह रचाया।।34

कुशध्वज सुता भरत घरवारी। 

धन धन हे मिथिलेश कुमारी।। 35

राम मातु कौशलपुर बेटी।

दशरथ रानी अयोध्या चेटी।।36

 तुम रघुवंशी अवध नरेशा ।

जीते देव दनुज अरु शेषा।। 37

राम भगत दशानन भाई ।

भेद बता रावण मरवाई।।38

 क्षत्रिय से ब्रह्मण कहलाये।

ऐसे गुरु को रामहि पाये।।39

छे माह सोवे मन भर खावे।

लंकापति भी पार न पावे।।40

रामायण की पहेलियां, रामायण को सार।

बालपने का ज्ञान है, बुद्धि का विस्तार।

 

आगर (मालवा) मध्य प्रदेश

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