प्रेम की भाषा


प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

प्रेम 

ना हिंदी  

ना अंग्रेजी होता है। 

सच  तो  यह है........?

 

प्रेम हर भाषा से ,

ऊपर होता है। 

प्रेम 

शब्दों का कहां,

मोहताज होता है ।

 

यह तो ,

जज्बों से बयां होता है।

यह अहसास,

बहुत खास होता है।

 

यह तो ,

हर रूह का प्राण होता है ।

 

प्रेम 

ना हिंदी 

ना अंग्रेजी होता है।

 

लेकिन 

यह और बात है ।

हर किसी के हिस्से में ,

यह कहां होता है ।

 

यह अनंत तक,

 जाने की राह होता है।

 

जिंदगी खूबसूरत हो जाती है ।

जब किसी से ,

किसी को प्यार होता है ।

 

प्यार की दुनिया में,

 नफरतों के लिए,

 फिर कहां कोई स्थान होता है।

 

 प्रेम 

 ना हिंदी,

 अंग्रेजी होता है।

 

 यह भाषा का ,

 नही

 भावों का भव्य भाव होता है ।

 

जो दिल प्रेम से भरा होता है।

 

 क्या ..... बांटोगे

 तुम  सरहदों ,

 भाषाओं ,

और इंसानों के नाम पर ।

 

यह तो ,

धरती से आसमां तक

 बेशुमार होता है ।

 

प्रेम 

ना हिंदी 

ना अंग्रेजी

यह हर भाषा से ऊपर होता है। 

 

नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

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