राजीव डोगरा 'विमल' शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जीवन क्षितिज के अंत में
मिलूंगा फिर से तुमको,
देखना तुम
मैं कितना बदल सा गया हूं
मिलकर तुमको।
जीवन क्षितिज के अंतिम
छोर में देखना
मेरे ढलते जीवन की
परछाई को,
कितनी बिखर सी गई है
मिलकर तुमको।
जीवन क्षितिज के अंत में
देखना मेरी
डगमगाती सांसों को,
कितना टूट सी गई है
मिलकर तुमको।
युवा कवि लेखक कांगड़ा
भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा हिमाचल प्रदेश
भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा हिमाचल प्रदेश
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