इस घड़ी ने घड़े की


प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

इस घड़ी ने घड़े की,

कीमत बता दी।

 

जो लोग...

मिट्टी से टूट चुके थे। 

मिट्टी ने , 

आज अपनी ,

उनको अहमियत बता दी।

 

इस घड़ी ने, 

घड़े की कीमत बता दी।

 

युगों- युगों से यह बताते रहे। 

साथ मिट्टी के जीवन गीत गाते रहे।

 

इस घड़ी ने,

 घड़े की कीमत बता दी।

 

जो लोग भूल चुके थे।

आधुनिकता की दौड़ में ,

घड़ा याद आता था।

अंतिम समय के मोड पे।

 

आज वही घड़ा याद आ रहा है। 

जीवन घड़ी के ,

इस छोर से उस छोर में।

 

_#स्वरचित और अप्रकाशित रचना

प्रीति शर्मा "असीम"

 नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

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