भारत रत्न के वास्तविक हकदार है चौधरी चरण सिंह


अशोक काकरान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। 

एक व्यक्तित्व नही विचारधारा थे चौधरी चरण सिंह। राजनीतिक जीवन मे आदर्श और आदरणीय थे। सादगी और जीवन मूल्यों के लिए उनका जीवन समर्पित था। उनकी ईमानदारी की कसम खाई जा सकती है। उनको आदर्श बताने वाले नेताओ की सम्पत्तियों की कीमत का आंकलन हजारों करोड़ में किया जाता है। बात बात में चौधरी साहब का जिक्र करने वाले राजनेताओं में उन जैसा कुछ भी नाममात्र नही है। ना राजनीतिक ईमानदारी, ना सामाजिक ईमानदारी।


आज विधायक बनते ही दौलत ओर सम्पत्ति अकूत हो जाती है। तमाम तरह के व्यसनों से राजनीति में लोग परिचित हो जाते हैं। दिखावा मात्र होता है उनके पास चारित्रिक एंव सादगी का, जबकि होता इसके उलट है सब कुछ। चौधरी साहब एक प्रखर पुरूष थे। मुख्यमंत्री, केन्द्रीय गृहमन्त्री और फिर प्रधानमंत्री पद की गरिमा बढ़ाने के बाबजूद चौधरी साहब साधारण व्यक्ति ही रहे। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व पर इन पदों का कोई असर नहीं होता था। अंतिम सांस लेते समय उनके बैंक खाते की किताब में मात्र चार सौ के आसपास ही रुपये थे। जब जब भी उनको सत्ता हासिल हुई, किसानों, कामगारों और वंचित समाजो के लिए उन्होंने बहुत कार्य किये। उनके महान कार्यो को कभी भी नजरअंदाज नही किया जा सकता है। उनकी लिखी किताबें विदेशों में पढ़ाई जाती हैं। ग्रामीण भारत और अर्थव्यवस्था सम्बंधित उनके ज्ञान का कोई मुकाबला नही है।  चौधरी साहब मानव नही महामानव थे। ईश्वरीय सत्ता को सदैव याद करते हुए चौधरी साहब ने प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति की परवाह की। उनके दर्द को करीब से महसूस किया। देशप्रेम ओर असहाय जनता की चिंता आखरी सफर पर जाने तक भी उनको व्याकुल करती रही। हकीकत में भारत रत्न थे चौधरी साहब। समय आ गया है कि सरकार अपनी भूल को सुधारती हुई चौधरी साहब को भारत रत्न सम्मान देकर समस्त किसान मजदूर ओर वंचित समाज को सम्मानित करें।


वरिष्ठ पत्रकार मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश


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