डाॅ दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
सोलह दिस की रात को, बुरा हुआ उत्पात।
भारत माता रो पड़ी, दुखड़ा कहा न जात।
बेटी पंथ निहारती, घर जाने की आस।
बस में बैठी सीट पे, टूट गया विश्वास ।।
गुण्डे चार असवार थे, करते दुर्व्यवहार ।
चालक परिचालक मिले, मन में बुरे विचार ।।
दिल्ली गुंडा राज बनि, बेटी अत्याचार।
राजधानी दहक उठी, मचता हाहाकार ।।
नीति सद्गुण डूब रहे, बढ़ता दुर आचार ।
शेर गुफा में सो रहे, भेड़ी करे शिकार ।।
हंसा तो मौनी बने, बगुला बन वाचाल
काली राते देखके, उल्लू भये निहाल।।
बेटी दुर्गति हो रही, बेबस थी सरकार ।
आव आबरू लूटते, उल्लू बगला चार।।
तेरहदिन तक तड़पके, बेटी छोड़े प्राण ।
बेटी चिरैया मर गई, घायल भारत मान।।
सात साल के बाद में, बेटी पाया न्याय।
बाईस तीन बीस को, यम को दिये पठाय।।
आगर (मालवा) मध्य प्रदेश
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