बेटी चिरैया मर गई ( 16.12.12 के दिल्ली दुष्कर्म काण्ड़ पर विशेष )


डाॅ दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

सोलह दिस की रात को, बुरा हुआ उत्पात।

भारत माता रो पड़ी, दुखड़ा कहा न जात।

बेटी पंथ निहारती, घर जाने की आस।

बस में बैठी सीट पे, टूट गया विश्वास ।।

गुण्डे चार असवार थे, करते दुर्व्यवहार ।

चालक परिचालक मिले, मन में बुरे  विचार ।।

दिल्ली गुंडा राज बनि, बेटी अत्याचार।

राजधानी दहक उठी, मचता हाहाकार ।।

नीति सद्गुण डूब रहे, बढ़ता दुर आचार ।

शेर गुफा में सो रहे, भेड़ी करे शिकार ।।

हंसा तो मौनी बने, बगुला बन वाचाल

 काली राते देखके, उल्लू भये निहाल।।

बेटी दुर्गति हो रही, बेबस थी सरकार ।

आव आबरू लूटते, उल्लू बगला चार।।

तेरहदिन तक तड़पके, बेटी छोड़े प्राण ।

बेटी चिरैया मर गई, घायल भारत मान।।

सात साल के बाद में, बेटी पाया न्याय।

बाईस तीन बीस को, यम को दिये पठाय।।

 

आगर (मालवा) मध्य प्रदेश

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