आगरा के एक मदरसे में मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे गायत्री मंत्र (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 12, अंक संख्या-29, 14 फरवरी 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


शि.वा.ब्यूरो, आगरा। मदरसों को इस्लामी शिक्षा का केन्द्र माना जाता है, लेकिन यूपी के एक मदरसे ने हिन्दू-मुस्लिम एकता की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी तारीफ में शब्द ही कम पड़ जाएंगे। इस मदरसे में इस्लाम के साथ-साथ हिन्दू धर्म ग्रंथों के साथ संस्कृत भी पढ़ाई जाती है।


मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। मोहम्मद इकबाल की यह पंक्ति इस मदरसे पर बिल्कुल सटीक बैठती है। दो अलग-अलग मजहब के लोग धर्म के भेद को भुलाकर एक साथ घंटों मदरसे में पढ़ते हैं। शहर से करीब दस किमी दूर स्थित इस मदरसे में कुल 375 छात्र हैं, इनमें मुस्लिम छात्र 275 हैं, जबकि हिन्दू छात्रों की संख्या 100 है। मदरसे के प्रधान मौलाना उजैर आलम के मुताबिक सभी मुस्लिम व हिन्दू छात्रों को एक साथ कुरान, इस्लामी दीनियात, अरबी के साथ उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के समस्त विषय पढ़ाए जाते हैं। मुस्लिम इलाके के एक मदरसे में ओम भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् गायत्री मंत्र की इन पंक्तियों को आप हर रोज सुन सकते हैं। दौरेठा नंबर एक में स्थित मदरसा मोईनुल इस्लाम में कुरान की आयतों के साथ संस्कृत के कठिन लोकों का पाठ पढ़ाया जा रहा है।


खास बात यह है कि इस मदरसे में मुस्लिम बच्चे संस्कृत का पाठ पढ़ रहे हैं। सौ के करीब हिन्दू बच्चे गीता सार के साथ उर्दू, अरबी भी सीख रहे हैं। यहां तालीम लेने वाले हिन्दू और मुस्लिम बच्चों को जो तालीम दी जा रही है, उसने विश्व में धर्म और मजहब के नाम पर लोगों को बांटने वाले कट्टरपंथियों को कड़ा संदेश दिया है। गंगा-जमुनी सभ्यता की अनोखी मिसाल बनकर सामने आए इस मदरसे में दोनों धर्मों के बच्चों को संस्कृत, कुरान की आयतें और गायत्री मंत्र का उच्चारण सिखाने की परम्परा ने मदरसे को खासा चर्चा में ला दिया है।


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