कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
एक बार सरदार पटेल खुली बैल गाडी़ से गाँवों का दौरा करने निकले। उनके साथ रावजीभाई मणिभाई पटेल भी थे। वे किसानों और गावों की हालत का निरीक्षण कर रहे थे। वो किसानों से सुविधा और अभावों की जानकारी ले रहे थे। उस दिन सरदार साहब ने हंगेरियन कैप और काला कोट,धोती पहने.हुए थे। गाड़ीवान बड़ा बातूनी था, वह बीच बीच में सरदार पटेल और मणिभाई से बात भी कर रहा था। बैलगाडी़ अपनी सही रफ्तार में चल रही थी और यात्रा भी। साथ ही कोचवान और दोनों सवारी भी खुश थीं। कि अचानक गाडी़वान का ध्यान बैलगाडी़ की ओर गया तो उसे याद आया कि बैलगाडी़ में रफ्तार रोकने वाला लकडी़ का स्टैण्ड लगाना भूल गया है। इसके उसने कई बार बैलगाड़ी की रफ्तार धीमी करनी चाही, पर उल्टे बैल और तेजी से चलने लगे और ढलान पर अन्ततः गाडी़ उलट गई और.सरदार साहब मणिभाई गिर गये। यह देख गाड़ीवान बेहद घबरा गया कि आज उसकी खै़र नहीं। बहुत मुश्किल से दोनों उसके नीचे से निकलकर बाहर आये। गाड़ीवान ने डरते-डरते गिड़गिडा़ते हुए हाथ जोड़कर उनसे माँफी माँगी। सहृदय सरदार साहब उसे घबराये हुये गाडी़वान के कन्धे पर हाँथ रखकर बोले-अरे इसमें इतना डरने उदास होने की क्या बात है। गलती तो हम सबसे हो जाती है, लेकिन आगे से ध्यान रखना और अब चलो इस बैलगाड़ी को सीधा करते हैं। उनकी दयालुता देख कोचवान सरदार साहब के पैरों पर झुक गया। तीनों ने मिलकर उसे सीधा किया और फिर चल दिये दुसरे गाँव की ओर।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ