कुंवर आर.पी.सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बात बहुत पुरानी नही है सभी को याद ही होगी। नीम के औषधीय गुणों का उपयोग हम इम्युनिटी बुस्ट करने के लिए किया करते थे। इसका समय यही चैत्र मास ही होता था। पतझड़ के बाद नीम के पेड़ों में छोटी-छोटी कुछ हरीतिमा लिए लाल पत्ते उगते हैं। इन पत्तों को चबाकर या इनको पीस कर इनका रस निकाल कर कुछ दिन जरूर पिया जाता था। मान्यता थी कि पूर साल फोड़े-फुंसियां, बुखार, या अन्य सीजनल बीमारियां परेशान नहीं करतीं। कोमल नए पत्ते होने के बाद भी नीम की कड़वाहट इनमें बरकरात होती है। ना-नुकर करने पर घर में डांट पड़ती थी कि दवा कड़वी ही होती है। चल रख् पीकर एक चम्मच शहद या एक डली गुड़ खा लेना। डांट के डर से खानी तो होती थी पर बच्चे रास्ता निकाल लेते। आधा चम्मच रस लेकर उसे गले में इस तरह डालते कि जीभ की स्वाद ग्रंथियों के संपर्क में आने के पहले ही वह अंदर चली जाए।
बरहाल। चैत्र मास चल रहा है और सबको इम्यूनिटी बुस्ट करने की जरूरत भी है तो क्यों न नीम ट्राइ करें।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ