सोसायटी को कैशलेस बनाना हो हंमारा जूनुन (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 13, अंक संख्या-20, 10 दिसम्बर 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


प्रदीप कुमार सिंह ‘पाल’, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर कैशलेस सोसायटी की वकालत कहते हुए कहा है कि कैशलेस बनने में वक्त लग सकता है, पर ‘लेस-कैश’ सोसायटी बनने की ओर तो बढ़ा जा सकता है। आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए मोदी ने युवाओं से अपील की है कि वे ‘कैशलेस’ सोसायटी बनाने के लिए तकनीक के प्रति लोगों को जागरूक करने में मदद करें। युवा दिन में आधा घण्टा निकालकर कम से कम 10 परिवारों को तकनीक सिखाएं। जाली नोटों के चक्कर से देश को बाहर लाने में सहयोग करें। प्रधानमंत्री ने केन्या की मिसाल देते हुए कहा कि बदलाव और क्रांति युवा ही लाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कुछ लोग जनधन खातों में अपना काला धन खपा रहे हैं। वे गरीब की जिन्दगी से खिलवाड़ न करें। देश हित में सच्चे देश भक्त बनकर प्रत्येक ईमानदार नागरिक को नोटबंदी के उद्देश्य को सफल बनाना है। भारत विश्व का सिरमौर बनाने के ऐसे अवसर बार-बार नहीं आते।  
एक खबर के अनुसार 1968 में बने तमिलनाडु के महर्षि अरविन्द के ऑरोविले इंटरनैशनल टाउन में 1985-86 में एक फाइनेंशल सर्विस सेंटर शुरू किया गया था। तब से ये रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की अनुमति लेकर बैंक की तरह ही काम करता है। इसमें यहां रहने वाले लोग अपना पैसा ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कराते हैं। इसके बदले ऑरोविले फाइनेंशल सर्विस (एएफएस) एक अकाउंट नंबर देता है। एएफएस के इंचार्ज रतनम के मुताबिक, ऑरोविले के करीब 200 कमर्शल सेंटर और छोटी-बड़ी दुकानों पर इसी अकाउंट नंबर को बता के खरीददारी की जाती है। वहीं, यहां आने वाले गेस्ट और वॉलंटियर के लिए डेबिट कार्ड की तरह एक ऑरो कार्ड जारी किया जाता है। ऑरोबिले की सीमा के अंदर की दुकानों पर तो कैश से पेमैंट का कोई सिस्टम नहीं है। लेकिन, शहर के बाहर से जरूरी सामान मंगवाने के लिए ऑनलाइन सुविधा ना होने पर कभी-कभी कैश पेमेंट करना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर कुछ टूरिस्टों को भी इमोश्नल ग्राउंड पर छूट दे दी जाती है।
डिजिटल गांव बनाने के अभियान के चलते अपै्रल 2015 में आईसीआईआई बैंक ने गुजरात के अकोदरा गांव को गोद लिया था। उसी समय गांव में एक ब्रांच के जरिए सभी लोगों के खाते खोले गये। मोबाइल नंबर से 24 घंटे बैकिंग ट्रांजेक्शन सर्विस मुहैया करवाई। खाते की मदद से मोबाइल पेमेंट करना सिखाया। तब से यहां पान की दुकान से लेकर सब्जी, दूध और अनाज तक हर जगह कैशलेस लेन-देन ही होता है। इसके लिए स्मार्टफोन की भी जरूरत नहीं पड़ती। साधारण मोबाइल पर भी यह कार्य सफलतापूर्वक हो जाता है। बैंक के एक कर्मचारी के मुताबिक, आज गांव के लोगों के 27 से 30 लाख रूपये अकोदरा ब्रांच में डिपॉजिट हैं। यह गांव गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर उप जिले में है। 
महाराष्ट्र के ठाणे के मुरबद तालुका स्थित धसई गांव पर नोटबंदी का कोई खास असर नहीं पड़ा है, क्योंकि यह गांव तेजी से ‘कैशलेस’ सोसायटी बनने की तरफ बढ़ रहा है। गांव में ‘प्लास्टिक मनी’ अभियान चलाया जा रहा है। गांव में इस अभियान की शुरूआत स्वातंत्यवीर सावरकर राष्ट्रीय प्रतिष्ठान नाम के सामाजिक संस्थान ने की है। धसई गांव की आबादी करीब 10 हजार है। गांव में करीब 150 व्यापारी हैं जो दूध, चावल, अनाज और अन्य चीजों का व्यापार करते हैं। गांव के इन व्यापारियों के एक दिन का टर्नओवर कुल मिलाकर करीब 10 लाख रूपये है। गांव मंे सबके पास जन-धन खाता और डेबिट कार्ड है। गांव वाले वड़ा पाव से लेकर सब्जियों और घरेलू जरूरत के हर सामान की खरीदारी डेबिट कार्ड से कर सकें इसके लिए स्वाइप मशीनों की व्यवस्था की जा रही है। ‘प्लास्टिक मनी’ अभियान के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा की मदद ली जा रही है। बैंक ने गांव वालों के लिए मुफ्त में स्वाइप मशीन उपलब्ध कराने की सहमति दे दी है।  
एक तरफ नोटबंदी की खिलाफ अपने देश में विपक्ष विरोध कर रहा है, दूसरी तरफ दुनिया इसे एक मिसाल के रूप में देख रही है। अब तो चीन के ऑफिशियल मीडिया ने भी मोदी के नोटबंदी के फैसले को साहसिक कदम बताया है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने सम्पादकीय में लिखा है कि मोदी का नोटबंदी का फैसला एक बड़ा दांव है और ये मिसाल कायम करेगा। हालांकि इसके पहले चीन के मीडिया ने भारत में नोटबंदी को बड़ा मजाक उड़ाया था और इसे महंगा राजनीतिक कदम करार दिया था। देर से सही, लेकिन चीन ने भी नोटबंदी के फैसले को भारत के लिए एक मिसाल माना है, लेकिन विपक्षी पार्टियां अब भी इसका विरोध में लगी हैं। यह और बेहतर हो सकता है, अगर विपक्ष जनता को भड़काने का काम छोड़ कर काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का साथ दे। फैसले को लागू करने की सरकार की क्षमता-साख और जनता की सहनशीलता दोनों दांव पर लगे हैं। ऐसे समय नोटबंदी का विरोध करने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता। आखिर हम एक जिम्मेदार नागरिक पहले है उसके बाद में किसी राजनीतिक दल के पदाधिकारी या सदस्य हैं। 
एक खबर के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बैंकों से एक अभियान के रूप से डिजिटल बैकिंग को आगे बढ़ाने को कहा है। सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के बैंक प्रमुखों से बैठक के बाद उन्होंने कहा कि सरकार के सुधार का मुख्य उद्देश्य लेन-देन में नकदी के उपयोग को सीमित करना है। इसके लिए वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री अनिल कुमार कहाची की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जा रही है। यह कैशलेस सिस्टम की दिशा में अच्छा कदम है। कैशलेस आदान-प्रदान होने से भ्रष्टाचार, नकली नोट तथा कालाबाजारी पर रोक लगेगी। विश्व के कई देश कैशलेस लेन-देन की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल बैकिंग के युग में हमें इसके लिए अपने को कैशलेस होने के लिए तैयार करना होगा। 
नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिका में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने हलफनामा पेश किया। सरकार ने कहा कि 70 वर्षों से देश जिस ब्लैक मनी का बोझ ढो रहा था, उसे बाहर निकालने और कम करने का प्रयास किया गया है। कैश ट्रांजक्शन कम करके, उसे डिजिटल करने की कोशिश की गई है। सरकार ने बताया कि दुनिया भर में जीडीपी का 4 फीसदी कैश ट्रांजक्शन होता है, लेकिन भारत में यह आंकड़ा 12 फीसदी है। नोटबंदी प्रक्रिया से लोगों को परेशानी हो रही है। लेकिन इससे ब्लैक मनी पर काबू पाया जा सकेगा। सरकार ने कहा कि आतंकवाद फैलाने के लिए जाली नोट का इस्तेमाल होता था, नोटबंदी की कार्यवाही से उस पर काबू पाया जा सकेगा। सरकार ने कहा कि नोटबंदी की प्रक्रिया गोपनीय न रहती तो प्रक्रिया बेमतलब हो जाती। सरकार के मुताबिक, आरबीआई एक्ट की धारा-26 और बैकिंग रेग्युलेशन एक्ट की धारा-35 (ए) के तहत सरकार को अधिकार है कि वह मुद्रा का कानूनी टेंडर खत्म कर दे और पुरानी मुद्रा को कुछ सर्विस में चलाने के लिए छूट दे। वहीं, सरकार ने बताया कि ब्लैकमनी पर काबू पाने के लिए बेनामी संपत्ति से संबंधित एक्ट में भी बदलाव किया गया है।
500 और 1000 के नोट बैन करने के खिलाफ लगभग एकजुट विपक्ष ने 28 नवंबर को भारत बंद की घोषणा की गयी थी जिसका आंशिक असर पड़ा। सवाल है कि यह बंद है किसके लिए? इस बंद के बाद हमारे जीवन में क्या परिवर्तन होने जा रहा है? भारत बंद के चलते सामान्य नागरिकों, मरीजों तथा स्कूली बच्चों को ढेरों परेशानियों का सामना करना पड़ा था। अगर यह मान भी लिया जाए कि जनता नोटबंदी से परेशान है तो क्या इस बंदी से जनता की परेशानियों का हल निकल जाएगा? नोटबंदी  को सफल बनाने का हमारा जुनून होना चाहिए। आज दुनिया में भारत के नोटबंदी के उठाये साहसिक कदम की सराहना हो रही है। आखिर सभी राजनीतिक दलों का उद्देश्य लोक कल्याण है। कोई भी निर्णय लेने के पहले यह सोच लेना चाहिए कि हमारे निर्णय से समाज के उस अंतिम व्यक्ति का क्या लाभ होगा? प्रश्न यह है कि सही क्या है? राजनीतिक पार्टियाँ को सरकार के किसी निर्णय का विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन उन्हें विरोध के आज युग के अनुकूल अन्य तरीकें खोजने चाहिए। जिससे आम जनता को विशेषकर बच्चों को परेशानी न हो। 
देश में नोटबंदी के कारण जहां आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं, केंद्रीय मंत्री भी इससे अछूते नहीं हैं। एक निजी अस्पताल ने केंद्रीय सांख्यिकी मंत्री सदानंद गौड़ा से भी 500 और 1000 रूपये के पुराने नोट लेने से इनकार कर दिया। अपने भाई का शव लेने के लिए मंत्री को चेक से भुगतान करना पड़ा। वही दूसरी ओर पूर्व क्रिकेटर संदीप पाटिल को भी नोटबंदी की मार झेलनी पड़ी। बेटे की शादी के लिए 2.5 लाख निकालने में नाकाम रहे। कोर्ट मैरिज के कारण उनके पास शादी का कार्ड नहीं था। यह घटनायें इस बात का सबूत है कि कानून सबके लिए बराबर है। कानून की दृष्टि में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। हम सब को मिलकर कानून का राज्य स्थापित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। आज हम सब कानून को तोड़ने वाले बनते जा रहे हैं। बच्चों को बाल्यावस्था से ही स्वतः कानून पालक बनने की सीख मिलनी चाहिए।
रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री उर्जित पटेल ने नोटबंदी पर कहा है कि दैनिक आधार पर निगरानी की जा रही है। इस हालात पर नजर बनी हुई है। सुविधा के लिए हर कदम उठाए जा रहे हैं। परेशानी दूर करने की कोशिश की जा रही है। कैश की कोई कमी नहीं है। नोट की छपाई के लिए मुद्रण कारखानों को पूरी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है। बैंक मिशन की तरह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने देश के नागरिकों से डेबिट कार्ड जैसे कैशलेस विकल्पों का अधिक से अधिक उपयोग करने की अपील की है और कहा कि इससे लेन-देन सस्ता और आसान होगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि देश में नकदी का संकट अगले तीन महीने तक बना रह सकता है। इतना ही नहीं, नोटबंदी के कारण आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा और वृद्धि दर प्रभावित होगी। उनका यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि नीति आयोग के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। नोटबंदी के असली उद्देश्य से हमें किसी भी हालत में भटकना नहीं चाहिए। जनता को इस राह में आने वाली कठिनाईयों को ध्येयपूर्वक सहन करना चाहिए। अभी नही तो फिर कभी नहीं।
श्री मोदी ने अपनी पार्टी के नेताओं सांसदों तथा विधायकों से 8 नवम्बर से 31 दिसम्बर 2016 तक का उनके बैंक खातों का विवरण मांगा है। इस पर आप पार्टी के श्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि सभी दलों के सांसद, विधायकों के खातों में एक साल में हुए लेनदेन की जांच करवाई जाए। उन्होंने आयकर संशोधन विधेयक के बारे में कहा कि यह संशोधन कालेधन को सफेद बनाने के लिए नहीं बल्कि गरीबों से लूटे गए पैसे को गरीबों पर ही खर्च करने के लिए है। मैं देश को नोटों के बंडल (काले धन) के बोझ तले दबे होने की इजाजत नहीं दे सकता। प्रधानमंत्री कार्यालय ने देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने पर सुझाव देने के लिए जल्दी ही मुख्यमंत्रियों की कमेटी बनाने का फैसला किया है। नोटबंदी के बाद काले धन पर टैक्स लगाने के उद्देश्य से आयकर एक्ट में बदलाव का बिल लोकसभा से बिना किसी चर्चा के पास हो गया है। इसके तहत काला धन पकड़े जाने पर 85 प्रतिशत तक रकम टैक्स व पेनाल्टी के रूप में देनी होगी। इसे लोकसभा में मनी बिल के रूप में पेश किया था। इसे राज्य सभा से पास कराने की जरूरत नहीं है। अब इसे देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी के बाद नोटिफिकेशन जारी होगा। 
जानकारों के अनुसार काले धन का करीब छह प्रतिशत हिस्सा ही कैश के रूप में होता है। ऐसे में जिन लोगों के पास करोड़ों रूपये अघोषित कैश पड़ा हो, उनके पास इससे कहीं ज्यादा काला धन विदेशी बैंकों, जमीन-जायदाद और सोने-चांदी की शक्ल में नहीं पड़ा होगा? इन तत्वों को खुलासे के लिए प्रेरित या मजबूर करने के लिए जरूरी है कि सरकार नोटबंदी के साथ ही साथ कुछ ऐसे उपाय भी करे, जिनसे इनकी बेनामी संपत्ति और सोना-चांदी भी निशाने पर आते हो। नोटबंदी से जनता को हो रही तकलीफों की सार्थकता इसी में है कि जिस सीमा तक भी संभव हो, काले धन के सभी स्त्रोतों को बंद किया जाए और इसको अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में आने लिए मजबूर किया जाए। वर्तमान में सारे विश्व की नजर भारत के नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले के परिणामों पर है। भारत की प्रतिष्ठा को वैश्विक जगत में बनाये रखने के लिए देश की सभी पार्टियों को सहयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए लखनऊ में विधानसभा के समक्ष किसानों ने अपनी आलू की बिक्री में नोटबंदी से हुई गिरावट को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने राहगीरों को निःशुल्क आलू वितरित किये। अब विरोधी पार्टियों को इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाकर संवेदनशील होकर इन पीड़ित किसानों की मदद करना चाहिए। प्रदेश तथा केन्द्र सरकार को बयान जारी करने के बदले उनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए। एक शेर के द्वारा में देश के प्रत्येक नागरिक से अपील करता हूँ कि आग किसने लगायी यह बाद में सोच लेगे पहले मिलकर आग बुझा तो ले। 


शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक, पता- बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2 एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ


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