कवि प्रणव भास्कर तिवारी 'शिववीर रत्न', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
एक मधु एहसास,
एक अपरिचिता का साथ,
जिन्दगी ले आई है,
खुशियों भरी प्यारी सौगात...
उस अपरिचिता से अब मेरी,
होने लगी है पहचान,
ईश्वर करे उसके होंठो पे,
सदा सजी रहे मुस्कान...
नए नए एहसासों में,
घुलने लगी है मेरी ये जिन्दगी,
शिववीर विजेता की बातों में,
मिलने लगी है अब खुशी...
यूँही बजती रहे,
ये खुशियों के सरगम,
जिन्दगी के ये मधुर पल,
कभी हो न खत्म...
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश
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