हवलेश कुमार पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बहुजन समाज पार्टी को एक साथ कई झटके लगने की उम्मीद बढ़ गयी है। इसकी वजह है कि भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद द्वारा नोएडा में की जाने वाली राजनैतिक पार्टी घोषणा के साथ ही पूर्व सांसद व बसपा के स्तम्भ रहे बलिहारी बाबू का समाजवादी पार्टी की में शामिल होना है। हालांकि बसपा सुप्रीमों मायावती ने भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर की गतिविधियों को दलितों के साथ धोखा और उन्हें भ्रम में डालने वाला बताया है।
राजनीति के जानकारों की मानें तो भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर द्वारा राजनीतिक पार्टी की स्थापना से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है। सूत्रों के अनुसार चन्द्रशेखर की नई पार्टी के नाम के मद्देनजर आजाद बहुजन पार्टी, बहुजन आवाम पार्टी और आजाद समाज पार्टी के नाम पर मंथन किया जा रहा है। चन्द्रशेखर के सहयोगियों के अनुसार गठित होने वाली नई राजनैतिक पार्टी में बसपा समेत कई पार्टियों के नेता और कार्यकर्ताओं के जुड़ने की उम्मीद है। जानकारों की मानें तो चन्द्रशेखर की इस नई पार्टी से मायावती को सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका है, क्योंकि चन्द्रशेखर स्वंय दलित समाज से हैं और उनका निशाना भी दलित वोट बैंक ही हैं। इससे दलित वोट बंटने की पूरी सम्भावना है और चूंकि दलित बसपा का वोटबैंक माना जाता है, तो यह लाजिमी है कि बसपा को ही इसका सबसे अधिक नुकसान होगा। बसपा को होने वाले इस सम्भावित नुकसान के साथ ही पूर्व सांसद व बसपा के वरिष्ठ नेता बलिहारी बाबू अखिलेश की सवारी पर सवार होकर समाजवादी शाॅल ओढ़ने से मायावती को दोहरा आघात लगने के कयास लगाये जा रहे हैं।
बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती पर मायावती ने कहा कि काशीराम ने गरीबों के लिए काम किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाबा साहेब का नाम लेकर दुखी और पीड़ित लोगों को बांटने की साजिश हो रही ै। उन्होंने कहा कि राजनैतिक दल अपने सियासी फायदे के लिए दलितों का प्रयोग कर रहे हैं। मायावती ने कहा कि दलितों को गुमराह किया जा रहा है। पूरे भाषण में बसपा सुप्रीमों के निशाने पर चंद्रशेखर रावण ही रहे, उन्होंने कहा कि इन्हे दलितों के हितों से कोई लेना देना नहीं हैं, केवल अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति करना ही उनका असली मकसद है।