लक्ष्मण उर्मिला प्रेम प्रसंग


(कवि प्रणव भास्कर तिवारी शिववीर रत्न), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

उर्मिला उर मिला खिलखिलाने लगी।

साथ प्रीतम के सुख वो मनाने लगी।।

मन मयूरी मुदित नाचती झूम के,

गीत खुशियों भरे गुनगुनाने लगी।।

थी विरह अग्नि जो हिय में जल रही,

तृप्ति के जल से उसको बुझाने लगी।।

आग था लगाता जो पपीहा अब तक,

टेर वो उसकी मन को लुभाने लगी।।

सीमंत पे महकने लगा प्रेम राग,

प्रेम अश्रु फिर आँखें छलकाने लगी।।

चूड़ियों ने किये तार झंकृत हृदय,

रागिनी रुनझुन पायल गाने लगी।।

उर्मिला उर्मि तरह फिर लहराई,

खुशी हर ओर शिववीर छाने लगी।।

 

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश

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