करवाचौथ और प्रियतम


(शालू मिश्रा) शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


याचक बनकर तुमनें मुझे मांगा था मात पिता से,
मन कर्म वचनो से मैनें भी तुम्हारा साथ दिया।
चूड़ी बिदिंया मेहंदी से करके सोलह श्रृंगार,
प्यार भरी माँग को अरमानो से तुमने सजा दिया ।


करवा चौथ व्रत की होती हैं हर सुहागन को चाहत,
पिया की सलामती की दुआ वो करती जाती हैं।
रहके वो निर्जल भूखी दिनभर,
सखी सहेलियों संग बरगद देवता को पूजने जाती है ।


पहले आसमान के चाँद का दीदार कर के,
फिर पिया की सूरत से सफल यह त्योहार होगा।
इक चाँद के आगे दूजे चाँद के लिए मन्नत माँग के,
पिया संग अटूट प्रेम का विस्तार होगा।


पिया के हाथ से जलपान करके,
चलनी से जब दोनो को देखा जायेगा।
उस मधुर बेला के उत्सुक नजारे से,
प्रिया का कमल मुख खिल जायेगा।


करती हूँ बस एक यही दरकार ,
हर बार ऐसी ही करवा चौथ आती रहे।
व्रत की मन में लेकर आस्था,
यूँही पिया संग हम प्रेम की बेला सजाते रहे।


देखो वो अर्धांगिनी आज धन्य है,
जिसने प्रियतम का सुख पाया है।
धन्य है वो पति परमेश्वर,
जो देवी रुप  धर्मपत्नी को  अपने घर लाया है।


युवा साहित्यकार/ अध्यापिका
नोहर (हनुमानगढ़)
राजस्थान


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