(आशुतोष), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जग-मग सजी गलियाँ
तारो जैसी दिखे घर और गलियाँ
आज दीये से सजकर धरती
खिल रही है जैसे कलियाँ।
दीप आस्था की
सभी मन से जलाके
लक्ष्मी अराधना करते घर सजाके
मुस्कुरा रहे सब फूलझरियाँ जला के ।
जैसे सबके घर श्रीराम आएँ
माता लक्ष्मी को सँग लाएँ
आस्था के प्रकाश में देते बधाई
भेद भाव मिटाकर बाँटे मिठाई।
उत्साह उमंग और भाईचारे
स्वच्छता इनको लगे प्यारे प्यारे
रंग रंगोली इनको भाते
इसलिए घर आंगन खूब सजाते।
होती रहे सबकी वृद्धि
दीपावली पर आए समृद्धि
जन मानस की प्रेम सुख शांति
यही अभिलाषा है इस नादान की।
पटना, बिहार