शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूचियाँ लोकतंत्र को मजबूत करती हैं। राजनीतिक दल मतदाता सूची तैयार करने के प्रत्येक चरण में शामिल होते हैं। मतदाताओं और राजनीतिक दलों को त्रुटियों को सुधारने के लिए उचित समय और अवसर दिया जाता है, यदि कोई हो। उक्त बाते मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने तरह-तरह की अफवाहों का खण्ड़न करते हुए स्पष्ट की।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि भारत में संसद और विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रणाली कानून द्वारा परिकल्पित एक बहुस्तरीय विकेन्द्रीकृत संरचना है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ), जो एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की मदद से मतदाता सूची (ईआर) तैयार करते हैं और उसे अंतिम रूप देते हैं। उन्होंने कहा कि ईआरओ और बीएलओ मतदाता सूची की शुद्धता की जिम्मेदारी लेते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद, उसकी डिजिटल और भौतिक प्रतियां सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और किसी के भी देखने के लिए ईसीआई वेबसाइट पर डाल दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि मसौदा ईआर के प्रकाशन के बाद, अंतिम ईआर प्रकाशित होने से पहले दावे और आपत्तियां दाखिल करने के लिए मतदाताओं और राजनीतिक दलों के पास पूरे एक महीने का समय उपलब्ध होता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि अंतिम ईआर के प्रकाशन के बाद डिजिटल और भौतिक प्रतियां फिर से सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और ईसीआई वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती हैं। उन्होने कहा कि अंतिम ईआर के प्रकाशन के बाद, अपील की दो-स्तरीय प्रक्रिया उपलब्ध है, जिसमें पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास और दूसरी अपील प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सीईओ के पास की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कानून, नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार मतदाता सूची तैयार करने में अत्यधिक पारदर्शिता बरती जाती है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) ने उचित समय पर मतदाता सूचियों की जांच नहीं की। उन्होंने कहा कि यदि कोई त्रुटि थी तो समय रहते उसे एसडीएम, ईआरओ, डीईओ या सीईओ को नहीं बताया। उन्होंने इसे हास्यास्पद बताया कि हाल ही में कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति पूर्व में तैयार की गई मतदाता सूचियों सहित मतदाता सूचियों में त्रुटियों के बारे में मुद्दे उठा रहे हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतदाता सूची से संबंधित किसी भी मुद्दे को उठाने का उपयुक्त समय उस चरण के दावे और आपत्तियों की अवधि के दौरान होता है, जो कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के साथ मतदाता सूची साझा करने का वास्तविक उद्देश्य है। यदि ये मुद्दे सही समय पर सही माध्यमों से उठाए गए होते तो संबंधित एसडीएम-ईआरओ को चुनावों से पहले यदि वे वास्तविक थीं, तो गलतियों को सुधारने का काम किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों और किसी भी मतदाता द्वारा मतदाता सूची की जाँच का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि इससे एसडीएम-ईआरओ को त्रुटियों को दूर करने और मतदाता सूची को शुद्ध करने में मदद मिलेगी, जो हमेशा से चुनाव आयोग का उद्देश्य रहा है।