डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
धन्यवाद प्रभु आपका, कैसे करुं आभार।
लाख रुपे का तन दिया, महिमा अपरम्पार।।
मानव जीवन बहु उपयोगी।
खाओ सादा रहो निरोगी।।1
जून पांच सन चौसठ आया।
प्रभु ने जीवन जग दिखलाया।।2
दो बरसों में कुछ नहीं जाना।
भक्ति करन पितु कीन्ह पयाना।3
बुद्ध सरिस छोड़ा घर द्वारा।
मां में ही देखा संसारा।।4
बहिन बड़ी थी भोली भाली।
दुबली पतली मेहनत वाली।।5
घर में काम किया ग्वाला बन।
भैंसों के संग फिरता वन वन।।6
सुबह रेल चलती थी छुक छुक।
मारे सीटी धूंआ फुक फुक।।7
ग्राम घोंसला तक हम जाते।
फिर आगे मोटर सब पाते।।8
मां का टिकट एक रुपैया।
बहिन का आधा लगता भैया।।9
नगर तराना मामा रहते।
रोज अखाड़े कुश्ती लड़ते।।10
घर के बाहर बड़ा सरोवर।
मेला लगता शिव तिलकेश्वर।।11
अब आगे की सुनो कहानी।
सीधे चौथी कक्षा जानी।।12
बोर्ड आठवीं मेरिट आया।
नकद वजीफा मैंने पाया।।13
गणित विज्ञान करी पढ़ाई।
हाय सेकंडरी डिग्री पाई।।14
तररासी में गुरू बनाया।
सरस्वती में खूब पढ़ाया।।15
फिर छैयासी की थी बारी।
ग्राम तनोड़िया में सरकारी।।16
फिर आगर सीटी में जाकर।
शिक्षण कीना मन लगाकर।।17
फिर किस्मत ने पलटा खाया।
नेताओं ने खूब सताया।।18
ग्राम झीकड़िया में भिजवाया।
शाला खेती समय बिताया।।19
भाष मालवी की केवांता।
किया संकलन जग विख्याता 20
साक्षरता अभियान चलाया।
सत्यासी को रात पढ़ाया।।21
फिर नरवल की आई बारी।
पुस्तक लेखन की तैयारी।।22
बाल पहेली खूब बनाई।
जो बच्चों के मन को भाई।।23
फिर अंगरेजी शोध कराया।
छोटे शब्दों को समाझाया।।24
मेक इंग्लिश इजियर आई।
जो डाइट के भी मन भाई।।25
बोर्ड परीक्षा पुस्तक लेखन।
रजधानी में करता शोधन।।26
माली खेड़ी गांव पढ़ाया।
तीन साल का अनुभव पाया।27
हुआ प्रमोशन खुशियां भारी।
पुस्तक छपने की तैयारी।।28
चालीसा की रचना कीनी।
खुशी आनंदी दुनिया दीनी।।29
फिर तेरह में आगर आया।
उत्कृष्ट स्कूल मैंने पाया।।30
आंग्ल छोड़ हिन्दी में आई।
दस सालों तक खूब पढ़ाई।।31
सन् उन्नीस को पांच सितंबर।
राज पुरुस्कृत ऊंचा अंबर।।32
संस्कृत से ऊंचा पद पाया।
तेइस में तनोडिया आया।।33
बीस अगस्ता सन चोबिसा।
ग्राम बापचा शाला धीसा।।34
बीईओ का भी भार संभारा।
शिक्षक खुश हो काम हमारा।35
प्रातः काल में नित उठ जाता।
पांच बजे फिर पानी पीता।।36
शौच क्रिया कर पैदल चलना।
बैजनाथ तक रोज टहलना।।37
फिर अखबारों में रम जाता।
कर अस्नाना मंदिर जाता।।38
घर कामों में हाथ बंटाना।
भोजन कर विद्यालय जाना।।39
समय प्रबंधन जीवन भाया।
जाकर बच्चों को समझाया।।40
बहुत गई थोड़ी रही,अब थोड़ी भी जाय।
बैजनाथ किरपा करे, शारद करें सहाय।।
इकसठ तो पूरे भये,अब बासठ का आन।
जन जन का आभार है,कहत है कवि मसान।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश